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हर तीन में से दो मोटे बच्चे फैटी लिवर से ग्रस्त

जंक फूड का इस्तेमाल करना होगा बंद । बच्चों का स्क्रीन टाइम भी घटाना होगा

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गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के बाल चिकित्सा प्रभाग द्वारा आयोजित ग्लोबल फैटी लिवर जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद डॉ. साधना लाल और डॉ. अजय दुसेजा। -ट्रिब्यून फोटो
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 27 जून

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बड़ों के साथ-साथ अब बच्चों में भी फैटी लिवर की समस्या बढ़ती नजर आ रही है। जहां एक तरफ वयस्कों में यह परेशानी शराब के सेवन के कारण हो सकती है तो वहीं बच्चों में इसके कई अलग-अलग कारण देखने को मिलते हैं।

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हर तीन में से दो मोटे बच्चे फैटी लिवर से ग्रस्त है। इससे निपटने के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव करना जरूरी है। बच्चों को इससे बचाने के लिए जंक फूड का इस्तेमाल बंद करना होगा। इसके अलावा बच्चों का स्क्रीन टाइम कम कर उन्हें बाहरी गतिविधियों के लिए उत्साहित करना होगा। यह खुलासा पीजीआईएमईआर में बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी में डीएम फेलो डॉ. ज्योति कुमारी ने किया। इस अवसर पर बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी की प्रमुख डॉ. साधना लाल, प्रमुख और हेपेटोलॉजी के प्रमुख प्रो. अजय दुसेजा प्रमुख तौर पर मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य माता-पिता, बच्चों और किशोरों में फैटी लिवर और मोटापे के खतरों के बारे में शिक्षित करना था। इस कार्यक्रम में जनता के 200 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया। डॉ. ज्योति कुमारी ने बताया कि फैटी लिवर जो अधिक वजन और मोटापे के कारण होता है। इससे कम उम्र में हृदय रोग हो सकते हैं। इसलिए बच्चों और उनके माता-पिता के लिए कमर के मोटापे, गतिहीन जीवन शैली, चीनी, तले हुए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से दूर रखना होगा।

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