सुरेंद्र सिंह सांगवान
पंचकूला, 9 फरवरी(ट्रिन्यू)
आज भानु स्थित आईटीबीपी के प्राथमिक प्रशिक्षण केंद्र में कमांडो का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे जवानों ने हैरतअंगेज ढंग से रस्सी के सहारे हेलीकाप्टर से उतर पर अपनी अनूठे साहस व कौशल का प्रदर्शन किया। प्राप्त जानकारी अनुसार ‘हेली स्लेदरिंग’ के लिये बीएसएफ के एमटी-17 हेलिकाप्टर की विशेष तौर पर व्यवस्था की गई थी। प्रशिक्षु कमांडों को करीब एक घंटे तक पहले शारीरिक क्रियाओं द्वारा वार्मअप किया गया। इसके बाद समूहों में उन्हें हेलीकाप्टर में चढ़ाया गया। करीब 5 से 15 मीटर की ऊंचाई पर एक-एक प्रशिक्षु कमांडो किट और राइफल के साथ रस्सी के सहारे हेलीकाप्टर से मैदान पर उतरे। आईटीबीपी के डीआईजी राजेश शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण केंद्र में इस समय 17 वें कमांडो कोर्स का विशेष प्रशिक्षण जारी है जिसमें विभिन्न यूनिट्स से 105 जवान भाग ले रहे हैं। तीन जनवरी को शुरू हुआ यह प्रशिक्षण 12 मार्च तक चलेगा। प्रशिक्षण में अधिकांश 25 से 28 साल की आयु के जवान भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षणार्थियों को कठोर प्रशिक्षण के साथ-साथ विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है। स्लेदरिंग का उपयोग आमतौर पर उन स्थितियों में किया जाता है जब खतरनाक लैंडिग स्थिति के लिए जमीन नरम या समतल न हो। एक कमांडो के पास स्लेदरिंग का बुनियादी कौशल होता है। इस अवसर पर विक्रांत थपलियाल, सेनानी, अधिकारी एवं कमांडो कोर्स प्रशिक्षक मौजूद रहे।
वजन के साथ 40 किमी तक की दौड़
डीआईजी ने बताया कि करीब 75 प्रतिशत जवान की कोर्स को पूरा कर पाते हैं। ट्रेनिंग के दौरान जो असफल रहते हैं उन्हें वापस यूनिट्स में भेज दिया जाता है। जो जवान कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं उन्हें हाई कमीशन, वीआईपी डयूटी, तिहाड़ जेल, दूसरे देशों में स्थित भारतीय उच्चायोग आदि में डयूटी पर तैनात किया जाता है। प्रशिक्षण पूरा करने पर जवान इस कदर मानसिक व शारीरिक रूप में सक्षम होता है कि वह हर परिस्थिति का सामना कर सकता है। वजन के साथ 5 से 40 किमी की दौड़ भी प्रशिक्षण का हिस्सा है। एक सवाल पर बताया कि कमांडो का विशेष डाइट दी जाती है। अतीत में आईटीबीपी के कमांडो ने श्रीलंका, अफगानिस्तान में भारतीय उच्चायोग में सफलतापूर्वक डयूटी दी है।