मनीमाजरा (चंडीगढ़), 16 अप्रैल (हप्र)
उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ (यूवीएम) ने प्रशासन द्वारा पंजाब राजधानी विकास एवं नियमन अधिनियम-1952 (कैपिटल ऑफ पंजाब डिवेल्पमेंट एवं रेगुलेशन एक्ट-1952) में संसोधन कर उल्लेखित जुर्माना राशि में भारी बढ़ोतरी किये जाने व इसको बिल्डिंग वॉयलेशन व मिसयूज ऑफ प्रीमाइसिस बताए जाने के प्रस्तावित कदम का विरोध करते हुये इसे असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण बताया है। इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन किया गया जिसमें यूवीएम के अध्यक्ष कैलाश जैन ने प्रशासन के इस फैसले को बिना सोचे समझे, कानूनी पड़ताल किये बगैर जल्दबाजी में लिया गया बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम और चंडीगढ़ सम्पदा(एस्टेट) नियमों में भवन उल्लंघन और परिसर दुरुपयोग के लिये जुर्माना लगाने के प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं लेकिन जुर्माना राशि अधिक होने की वजह से इसको अदालत में चुनौती दी गई थी जिस पर अदालत ने जुर्माना राशि को तर्कसंगत बनाने ओर स्टेक होल्डर्स को राहत देने के उद्देश्य से स्थानीय सांसद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। लेकिन प्रशासन जुर्माना राशि को तर्कसंगत बनाने के बजाय अब अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव ला रहा है जिसमें जुर्माना राशि को वर्तमान 500 रुपये से 400 गुणा बढ़ा कर दो लाख रुपये तथा प्रत्येक दिन के लिये अतिरिक्त जुर्माना राशि बढ़ा कर आठ हजार रुपये करने की बात कही गई है।
जैन ने घोषणा की कि इसके बावजूद अगर प्रशासन जबरदस्ती यह संशोधन करने की कोशिश करेगा तो व्यापार मंडल प्रशासन के इस गैरकानूनी एक्शन को कोर्ट में चुनौती देगा तथा जन आंदोलन चलाया जाएगा। सभी मार्केटों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।