इन देवियों का स्वास्थ्य जागरूकता अभियान बना सामाजिक आंदोलन
सेवा से साधना तक ‘मिशन अपर्णा शक्ति’ ने 13 राज्यों में जगाई अलख
नेक इरादों के साथ आगे बढ़ीं कुछ देवियों ने स्वास्थ्य जागरूकता का ऐसा अभियान चलाया कि यह एक बड़ा आंदोलन बन गया। नवरात्र के इस पावन पर्व पर आज बात करते हैं ‘मिशन अपर्णा शक्ति’ की। यह एक ऐसी ही पहल है जहां नारी शक्ति समाज में बदलाव की मशाल लेकर आगे बढ़ रही है। पीजीआई चंडीगढ़ की नर्सिंग ऑफिसर और एनबीएफ भारत की नेशनल वाइस प्रेजिडेंट व को-फाउंडर सिमरन कौर तथा को-फाउंडर व ट्रस्टी प्रेमा उनियाल के नेतृत्व में यह अभियान अब 13 राज्यों में फैल चुका है और हजारों महिलाओं व दिव्यांगजनों के जीवन को नयी रोशनी दे रहा है।
इस मुहिम की शुरुआत वर्ष 2021 में धनास स्थित विद्या भारती स्कूल से हुई, जहां सैनिटरी पैड वितरण कर महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश दिया गया। यह छोटा-सा प्रयास आगे चलकर एक बड़े सामाजिक आंदोलन की नींव बना। ऐसा ही काम 2025 में चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड में हुआ। वर्ष 2023 में चंडीगढ़ के समर्थ स्कूल में दिव्यांग बच्चों को कन्या पूजन में शामिल कर सामाजिक समरसता की मिसाल पेश की गई। साथ ही, देहरादून के ‘अपना घर अनाथ आश्रम’ में स्टेशनरी किट बांटी गईं। 2024 में देहरादून के सक्षम स्पेशल स्कूल में दिव्यांगजनों के लिए विशेष सेमिनार आयोजित हुआ और अनाथालय में एक बार फिर स्टेशनरी वितरण किया गया। अब ‘मिशन अपर्णा शक्ति’ लगातार इस तरह के जागरूकता अभियान में शामिल है। इस अभियान पर सिमरन कौर और प्रेमा उनियाल का कहना है, ‘हमारा उद्देश्य केवल सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास जगाना है। शक्ति की पूजा तभी सार्थक है जब हर महिला और हर दिव्यांगजन को सम्मान और अवसर मिले।’
वॉलंटियर्स हैं असली ताकत और मिला सम्मान
इस अभियान की असली ताकत वे सैकड़ों वॉलंटियर्स हैं जो अलग-अलग राज्यों से जुड़कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें एडवोकेट समीक्षा, शिवानी, साक्षी, खुशी, दिव्या, सताक्षी, परमिला, उमा, दिक्षिता, गुंजन, दीक्षा, खुशी चंबयाल, मेहक, नंदिनी जैसे अनेक नाम शामिल हैं। इनका समर्पण ‘मिशन अपर्णा शक्ति’ को जमीनी स्तर पर मजबूत आधार देता है। महिलाओं और दिव्यांगजनों के कल्याण के साथ-साथ इस टीम को हाल ही में आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से आर्मी एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिला है। यह सम्मान सेना के जवानों की पत्नियों के कल्याण कार्यों के लिए दिया गया, जिसने इस मिशन की विश्वसनीयता और प्रभाव को और बढ़ा दिया है।