पंचकूला, 15 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा स्टेट फिजियोथैरेपी काउंसिल की दूसरी बैठक में आज यहां हरियाणा में कार्यरत सरकारी, गैर सरकारी विश्वविद्यालयों व कालेजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। हरियाणा चार्टर्ड एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आर के मुदगिल ने बताया कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई और मांग की गई कि काउंसिल द्वारा तय की गई रजिस्ट्रेशन और कालेजों की संबद्धता फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम किया जाए।
इस पर संबंधित अधिकारियों ने कहा कि रजिस्ट्रेशन की फीस को कुछ हद तक कम किया जा सकता है लेकिन संबद्धता फीस को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई। कालेजों में यह संशय है कि मौजूदा प्रारूप के अनुसार जो भारी-भरकम फीस लगभग सवा तीन लाख सालाना ली जाएगी, वह कहीं न कहीं फिजियोथैरेपी चिकित्सा शिक्षा के रास्ते का रोड़ा बनते हुए कालेजों को नुकसान पहुंचाएगी। जिन कालेजों में फिजियोथेरेपी के छात्रों की संख्या कम है, वे कालेज भारी-भरकम खर्च के चलते बंद होने के कगार पर पहुंच जाएंगे।
बैचलर डिग्री के बाद जो छात्र मास्टर डिग्री करना चाहते हैं, उनके लिए एक तयशुदा फीस के साथ जो नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य था, उस पर भी चर्चा हुई। आम सहमति बनी की इस प्रावधान को हटा लिया जाएगा और अब आगे एनओसी की आवश्यकता नहीं होगी।
हरियाणा में फिजियोथैरेपी कोर्स में दाखिले के लिए कोई एक चयन प्रक्रिया बनाने में सहमति जताई गई। सभी कॉलेजों में एनुअल सिस्टम के तहत एक समान पाठयक्रम को लागू करने की चर्चा हुई।
शिक्षकों की कमेटी बनाने का दिया सुझाव
इसके लिए डॉ मौदगिल द्वारा सुझाव दिया गया कि प्रदेश में कार्यरत प्राइवेट और सरकारी फिजियोथैरेपी शिक्षकों की एक कमेटी बनाई जाए जो प्रदेश में लागू होने वाले कॉमन सिलेबस का प्रारूप तैयार करें जिसमें सभी की भागीदारी हो। उन्होंने कहा कि बैठक में कुछ बिंदुओं पर आम सहमति भी बनी, लेकिन अभी संबद्धता फीस जैसा बड़ा मुद्दा पूरी तरीके से नहीं सुलझ पाया है।