इस दश्त में इक शहर था वो क्या हुआ...
कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा और सेक्टर 53-54 से मोहाली जाने वाले मार्ग को पूरी तरह सील कर ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया। अभियान सुबह 7 बजे डीसी निशांत यादव के नेतृत्व में शुरू हुआ। इसमें 1,000 से अधिक पुलिसकर्मी, अग्निशमन दल, स्वास्थ्य विभाग की टीमें और नगर निगम का सफाई स्टाफ शामिल रहा। प्रशासन का दावा है कि दुकानदारों को 10 दिन पहले से लगातार मुनादी कर सूचना दी जा रही थी, जिसके चलते अधिकतर दुकानदारों ने अपना सामान पहले ही हटा लिया था।
कार्रवाई के दौरान सेक्टर 53-54 से मोहाली जाने वाली दोनों ओर की सड़कों को बंद कर ट्रैफिक डायवर्ट किया गया। बैरिकेडिंग सुबह से पहले ही कर दी गई थी।
हालांकि कारोबारी नेताओं और अधिकारियों को पूरे दिन फोन करते रहे, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। जैसे ही बुलडोज़र दुकानों तक पहुंचा, कई दुकानदारों की आंखों से आंसू छलक पड़े। वे अपने टूटते आशियानों को देखकर भावुक और असहाय नजर आए। उनका कहना था कि वर्षों से चल रही इस मार्केट से सैकड़ों परिवारों की रोज़ी-रोटी जुड़ी थी, जो अब उजड़ गई है।
प्रशासन का पक्ष
डीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि यह भूमि चंडीगढ़ के तीसरे चरण के शहरी विस्तार के तहत अधिग्रहित की गई थी और अब इसे योजनाबद्ध विकास के लिए इंजीनियरिंग विभाग को सौंपा गया है। प्रशासन का दावा है कि भूमि मालिकों को कानूनी रूप से उचित मुआवजा दिया गया है और पूरी कार्रवाई पारदर्शी ढंग से की गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस का विरोध: चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने इस कार्रवाई को अमानवीय और न्यायालय की भावना के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रभावितों को वैकल्पिक स्थल दिए जाएं और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए, लेकिन प्रशासन ने अचानक और बलपूर्वक दुकानों को गिरा दिया। कांग्रेस पीड़ित परिवारों के साथ है और न्याय मिलने तक हर मंच पर यह मुद्दा उठाएगी।
आप का हमला: आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष विजयपाल सिंह और राज्य मीडिया प्रभारी विक्रांत तंवर ने इस कार्रवाई को क्रूर और तानाशाही बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले झुग्गियों को उजाड़ा और अब छोटे व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया। पार्टी ने तत्काल मुआवजा और व्यवस्थित पुनर्वास की मांग के साथ एक संयुक्त निगरानी समिति गठित करने की अपील की है।