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विभाजन का जख्म बहुत ही गहरा था, लाखों परिवार बिछड़े: घनश्याम दास

भाजपा मुख्यालय पंचकमल के अटल सभागार में विभाजन की विभीषिका- स्मृति दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पंचकूला विधानसभा प्रभारी घनश्याम दास अरोड़ा ने बतौर मुख्य वक्ता भाग लिया। संगोष्ठी में जिला अध्यक्ष अजय मित्तल, नगर महापौर कुलभूषण...
भाजपा मुख्यालय पंचकमल के अटल सभागार में आयोजित विभाजन की विभीषिका - स्मृति दिवस पर संगोष्ठी के मौके पर मौजूद वक्ता। -हप्र
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भाजपा मुख्यालय पंचकमल के अटल सभागार में विभाजन की विभीषिका- स्मृति दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पंचकूला विधानसभा प्रभारी घनश्याम दास अरोड़ा ने बतौर मुख्य वक्ता भाग लिया। संगोष्ठी में जिला अध्यक्ष अजय मित्तल, नगर महापौर कुलभूषण गोयल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया, नगर परिषद् चेयरमैन कृष्ण लाम्बा, संगोष्ठी के संयोजक आर पी मल्होत्रा एवं अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता घनश्याम दास अरोड़ा ने बंटवारे के समय घटी घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा, विभाजन का ज़ख्म बहुत ही गहरा था, लाखों परिवार एक दूसरे से बिछड़ गए, अपना सर्वस्व छोड़ जान बचा कर हिन्दुस्तान में शरणार्थी बन कर आये। घनश्याम दास ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभाजन की पीड़ा को गहराई से महसूस किया और हर वर्ष विभाजन की विभीषिका - स्मृति दिवस मनाने का निर्णय लिया।

जिला अध्यक्ष अजय मित्तल ने कहा, आज भी हमारे देश में विभाजनकारी शक्तियां विद्यमान हैं जो देश के टुकड़े करने की फिराक में लगी हुई हैं। हमें ऐसे देश विरोधी सोच रखने वालों से जागरूक रहने की आवश्यकता है। मित्तल ने कहा, हमें देश की एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए साथ मिल कर कार्य करना होगा। मित्तल ने कहा, संगोष्ठी का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को आज़ादी के महत्व को बताना है। मित्तल ने कहा, विभाजन के दंश को झेलने वाले उन तमाम हिन्दू शरणार्थियों और उनके परिवारों की कांग्रेस ने कभी सुध नहीं ली। इस अवसर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा, आज़ादी मिलने के बाद सत्तासीन कांग्रेस सरकार ने विभाजन के मर्म को कभी नहीं समझा। देश की जनता विभाजन की सच्चाई और पाकिस्तान से पलायन कर हिन्दुस्तान आ रहे हिन्दुओं पर हुए ज़ुल्म को भुला चुकी थी, जो उन लाखो पीड़ितों के साथ अन्याय था, परन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन की विभीषिका - स्मृति दिवस के माध्यम से उन लाखों लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने का काम किया।

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बंतो कटारिया ने कहा, जो सैकड़ों एकड़ जमीन के मालिक थे, वे टेंट में रहने को मजबूर हो गए थे। तन पर दो कपड़ों में पलायन करने वालो का सिर्फ इतना कसूर था कि वे हिन्दू थे। उस दौर में हिन्दुओं पर ऐसा ज़ुल्म हुआ जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते है।

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