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सुप्रीम कोर्ट की नगर निगम को फटकार, चंडीगढ़ से सभी अवैध वेंडरों को तुरंत हटाने का आदेश

मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को
फाइल फोटो
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सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में बढ़ती अवैध स्ट्रीट वेंडिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए नगर निगम को सख्त फटकार लगाई है। अदालत ने निर्देश दिया कि शहर से सभी अवैध वेंडरों को तुरंत हटाया जाए और दो सप्ताह के भीतर नगर निगम आयुक्त की ओर से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आदेश की अनुपालना नहीं होती है, तो यह अदालत की अवमानना मानी जाएगी।

मनीमाजरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष मलकीत सिंह व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि ‘स्ट्रीट वेंडर्स (प्रोटेक्शन ऑफ लिवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग) एक्ट, 2014’ के तहत जिन वेंडरों को लाइसेंस या निर्धारित स्थल आवंटित नहीं किया गया है, वे सड़कों और फुटपाथों पर अवैध कब्ज़ा नहीं कर सकते। ऐसे सभी वेंडरों को तुरंत हटाया जाए और कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट हलफनामे के रूप में प्रस्तुत की जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि केवल अधिकृत वेंडर ही निर्धारित वेंडिंग ज़ोन और साइटों पर दुकानें लगाएं। अदालत ने निगम कमिश्नर से व्यक्तिगत जवाबदेही तय करते हुए निर्देश दिया कि वे आगामी सुनवाई में यह बताएं कि कितने अवैध वेंडरों को हटाया गया और अधिकृत वेंडरों की सूची क्या है।

मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। अदालत ने कहा कि स्ट्रीट वेंडिंग व्यवस्था शहर की सुंदरता और नागरिक सुविधाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

सड़कों पर रहती है जाम की स्थिति

उल्लेखनीय है कि मनीमाजरा बस स्टैंड, राणा हवेली, पिपलीवाला टाउन रोड, शांति नगर, एनएसी पार्किंग, सेक्टर 22 और मौलीजागरां जैसे क्षेत्रों में अवैध वेंडरों की मौजूदगी लंबे समय से समस्या बनी हुई है। इनसे न केवल सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। व्यापार मंडल ने मांग की है कि नगर निगम स्थायी समाधान के लिए तय वेंडिंग जोन में सख्त व्यवस्था सुनिश्चित करे।

 

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