मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

जो समाज अपना इतिहास भूला, उसका उजड़ना तय : भारत भूषण भारती

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा पंजाबी समाज सभ्यचारक मंच पंचकूला के सहयोग से पीडब्ल्यूडी विश्रामगृह पंचकूला के सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप...
पंचकूला में बुधवार को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करते गणमान्य। -हप्र
Advertisement

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा पंजाबी समाज सभ्यचारक मंच पंचकूला के सहयोग से पीडब्ल्यूडी विश्रामगृह पंचकूला के सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है उसका उजड़ना तय है। उन्होंने विभाजन की पीड़ा को याद करते हुए कहा कि 1947 की यह घटना इंसान के हैवान होने का सबसे बड़ा सबूत है। आज भी भारत एक है, केवल सीमाएं बंटी हैं लेेकिन लोगों को बांटना आसान नहीं।

इस अवसर पर पंजाबी समाज सभ्याचारक मंच के अध्यक्ष आरपी मल्होत्रा ने कहा कि पंजाबी समाज ने विभाजन की असीम पीड़ा सहन की है। पंजाबी समाज विभाजन विभीषिका से आज भी उसी तरह पीड़ित है क्योंकि पूरे समाज की चिंता है कि उनकी कुलदेवी माता हिंगलाज का मंदिर, जिसे एक विख्यात शक्तिपीठ माना जाता है, वह बलूचिस्तान में छूट गया है। हिंगलाज मंदिर से मिट्टी अथवा ईंट लाकर अपने यहां हिंगलाज माता के भव्य मंदिर की स्थापना के प्रयास भी सरकार द्वारा किए जाने चाहिए। इस अवसर पर पंजाबी समाज मंच की ओर से आभा मुकेश साहनी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटिका ‘लकीरा लहू दियां’ का मंचन किया गया। पंजाबी समाज मंच द्वारा कुलदेवी हिंगलाज माता पर एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की गई।

Advertisement

कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि जिन लोगों ने विभाजन को स्वीकार किया, उन्हें लोगों की जिंदगियां नहीं बल्कि कुर्सी की चिंता थी। आज हमें गहराई से विचार करना चाहिए कि इस विभाजन का जिम्मेदार कौन है।

अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डा. चंद्र त्रिखा ने बतौर मुख्य वक्ता अपने उद्बोधन में विभाजन की त्रासदी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी इस त्रासदी की पीड़ा के गवाह हैं और 78 वर्ष पूर्व लाशों के ढेर पर पैर रखकर सीमा पार कर आये थे। इस अवसर पर अशोक भंडारी एवं यश कंसल द्वारा काव्य पाठ भी किया गया

इस अवसर पर पूर्व राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना, मनजीत सिंह, सदस्य सचिव, हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, डॉ़ धर्मदेव विद्यार्थी, निदेशक, हिंदी प्रकोष्ठ, सरदार हरपाल सिंह, निदेशक पंजाबी प्रकोष्ठ, समेत चंडीगढ़ एवं पंचकूला के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

Advertisement