ज़ीरकपुर नगर परिषद अध्यक्ष का मुद्दा कानूनी दावपेंच में उलझा
हाई कोर्ट के आदेश पर पर्यवेक्षक की मौजूदगी में हुई बैठक
नगर परिषद के अध्यक्ष उदयवीर सिंह ढिल्लों की कुर्सी को लेकर चल रहा घमासान सुलझने की बजाए और भी पेचीदा हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक की देखरेख में आयोजित हुई बैठक में हलका विधायक कुलजीत सिंह रंधावा और अध्यक्ष उदयवीर ढिल्लों को मिला कर कुल 22 पार्षदों ने बैठक में भाग लिया। इनमें से अध्यक्ष उदयवीर ढिल्लों के खिलाफ विधायक समेत बगावत करने वाले 21 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जबकि अध्यक्ष ढिल्लों ने दावा किया कि दो-तिहाई बहुमत के हिसाब से 22 वोटों की आवश्यकता है। वहीं बागी गुट ने 21 वोटों की जरूरत बताई, जिससे प्रशासनिक अधिकारी असमंजस में पड़ गए और उन्होंने इसे अंतिम निर्णय के लिए स्थानीय निकाय विभाग के पास भेज दिया है। बैठक में डिप्टी कमिश्नर मोहाली कोमल मित्तल, एसडीएम डेराबस्सी अमित गुप्ता और एसपी ग्रामीण मनप्रीत सिंह, एसपी जीरकपुर जसपिंदर सिंह गिल विशेष रूप से प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे।
बैठक के बाद अध्यक्ष उदयवीर सिंह ढिल्लों ने बताया कि जीरकपुर हाउस में कुल 31 वोट हैं, जबकि हलका विधायक कुलजीत सिंह रंधावा का एक वोट जोड़ने पर कुल 32 हो जाते हैं। इसका दो-तिहाई बहुमत 22 वोट होता है, जबकि आज की बैठक के दौरान बागी गुट के केवल 21 वोट ही थे, जिससे अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है।
बागी गुट ने कहा कि नियमानुसार नगर परिषद में कुल 31 पार्षद हैं। अध्यक्ष को हटाने के विरोध में कुल 21 वोट पड़े, जो कि दो-तिहाई है। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार, क्षेत्र के विधायक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन उन्हें कोरम में नहीं गिना जा सकता। संपर्क करने पर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी परविंदर सिंह भट्टी ने कहा कि उन्होंने पूरी बैठक की कार्यवाही लिखकर स्थानीय निकाय विभाग को भेज दी है, जो नगर परिषद के नियमों के अनुसार अगला फैसला लेंगे। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी के क्षेत्र प्रभारी दीपिंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि अगर सरकार के इशारे पर कोई गलत फैसला लिया गया, तो वे फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।