पंजाब की फिज़ाओं में उत्तराखंड की महक
लॉकडाउन में बना शिक्षक से सिंगर
देश-विदेश में लोक गायन से उत्तराखंडी कल्चर की पहचान बढ़ाने वाले राकेश खानवाल ने कहा कि दरअसल, वे पहले शिक्षक थे। उससे पूर्व, बचपन में ही गुरुजी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और गाने के प्रति प्रेरित किया। वे स्थानीय स्तर पर गाने लगे। बाद में, शिक्षक बने तब भी रियाज और गायन जारी रखा। कोविड-19 के लॉकडाउन में उन्होंने लोक गायन को पूरी तरह प्रोफेशनल रूप से अपनाया और तराशा, तो एक शिक्षक सिंगर बन गया।
निदेशक फुरकान खान ने प्रतिभा पहचान दिया मौका
संगीत में एमए कर चुके खानवाल बताते हैं कि उनके चंडीगढ़ आने के बारे में जब यहां के लोगों को पता चला तो उनको यहां से सैकड़ों फैंस के मैसेज मिले। इन फैंस के प्यार ने मेरा हौसला दुगना कर दिया। उन्होंने बताया कि वे 4-5 बार चंडीगढ़ आ चुके हैं। अब उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम ने उनकी प्रतिभा को पहचान कलाग्राम के बड़े मंच पर परफोरमेंस का मौका दिया है।
राजस्थान के कालबेलिया और तेलंगाना के मथुरी नृत्य का जमा रंग
कलाग्राम में चल रहे 15वें चंडीगढ़ राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में गुरुवार को दिन के सत्र में राजस्थान के कालबेलिया डांस में नृत्यांगनाओं के डांस के साथ-साथ करतबों ने दर्शकों को खूब रोमांचित किया। वहीं, राजस्थान के ही चकरी और तेलंगाना के गोंड जनजाति के परंपरागत लोक नृत्य मथुरी ने दर्शकों की खूब दाद बटोरी। कार्यक्रम में पंजाब के आदिवासी समुदायों के सम्मी (शाहमुखी) डांस में नृतकों ने सामयीन को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके साथ ही मुरली राजस्थानी के लोक गायन ने राजस्थान की संस्कृति की खूबियां उकेरते हुए खूब तालियां बटोरी, उन्होंने अपने लोक गायन से श्रोताओं को बांधे रखा। तमाम फोक प्रस्तुतियों में पंजाब, खासकर ट्राईसिटी के बाशिंदों को देश के कई राज्यों की संस्कृति देखने का अवसर मिला है।
