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Thalassaemia थैलेसीमिया मरीजों के लिए समर्पित 320वां रक्तदान शिविर, पीजीआई में गूंजा संदेश- ‘रक्तदान ही सच्ची मानवता’

Thalassaemia थैलेसीमिया जैसे गंभीर रक्त रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और थैलेसीमिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने मिलकर एक ऐसा आयोजन किया, जिसने सेवा, संवेदना और जागरूकता—तीनों को एक साथ जोड़ा। ‘राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस’ और ‘पोषण माह’...

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Thalassaemia थैलेसीमिया जैसे गंभीर रक्त रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और थैलेसीमिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने मिलकर एक ऐसा आयोजन किया, जिसने सेवा, संवेदना और जागरूकता—तीनों को एक साथ जोड़ा। ‘राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस’ और ‘पोषण माह’ के उपलक्ष्य में आयोजित यह 320वां रक्तदान शिविर न केवल रक्तदान का प्रतीक बना, बल्कि ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान’ का भी जीवंत उदाहरण रहा।

रक्तदान शिविर का उद्घाटन पीजीआई के डीन (एकेडमिक) प्रो. (डॉ.) आर.के. राठो ने किया। उनके स्वागत में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) रत्ती राम शर्मा और ट्रस्ट के सदस्य सचिव राजिंदर कालरा मौजूद रहे।

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कार्यक्रम की शुरुआत एक विशेष केक कटिंग समारोह से हुई, जिसमें थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और पीजीआई के संकाय सदस्यों ने भाग लेकर ‘पोषण माह’ और ‘राष्ट्रीय रक्तदान दिवस’ का संदेश साझा किया।

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शिविर में कुल 66 स्वैच्छिक रक्तदाताओं ने भाग लिया, जिनमें प्रो. (डॉ.) अकला खदवाल, डॉ. विनी सूद (वित्त सचिव, ट्रस्ट) और कई वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य शामिल रहे। रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उपहार, प्रमाणपत्र और बैज भेंट किए गए।

थैलेसीमिया के प्रति जागरूकता पर विशेष ध्यान

थैलेसीमिक ट्रस्ट की ओर से रक्तदाताओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए और एक समर्पित थैलेसीमिया अवेयरनेस डेस्क स्थापित की गई। यहां आने वाले लोगों को बीमारी की रोकथाम, नियमित जांच और रक्तदान के महत्व के बारे में बताया गया।

ट्रस्ट के सदस्य सचिव राजिंदर कालरा ने कहा कि हर थैलेसीमिक मरीज के पीछे एक जिम्मेदार रक्तदाता खड़ा होता है। उन्होंने समाज से अपील की कि रक्तदान को केवल सेवा नहीं, बल्कि ‘जीवन बचाने का कर्तव्य’ समझा जाए।

वरिष्ठ फैकल्टी का आभार और प्रेरक संदेश

पीजीआईएमईआर के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सुचेत सचदेव, डॉ. संगीता पाचार, और अन्य फैकल्टी सदस्यों ने शिविर का दौरा किया और ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की।

कार्यक्रम के समापन पर प्रो. (डॉ.) आर.आर. शर्मा और राजिंदर कालरा ने थैलेसीमिक चैरिटेबल ट्रस्ट एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने यूनिप्रो टेक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का भी आभार जताया, जिसने थैलेसीमिक मरीजों की मदद और रक्तदान शिविरों में नियमित सहयोग दिया है।

‘रक्तदान एक संस्कार है, उपकार नहीं’

आयोजन के दौरान यह संदेश बार-बार गूंजा कि स्वैच्छिक रक्तदान किसी की मदद नहीं, बल्कि मानवता का उत्सव है। आयोजकों ने कहा कि हर व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार रक्तदान जरूर करना चाहिए, क्योंकि किसी अनजान की नसों में बहने वाला यही रक्त किसी घर में जीवन की रोशनी बन सकता है।

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