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Neha Ahlawat Murder Case: चंडीगढ़ की MBA छात्रा नेहा अहलावत की रेप और मर्डर केस में टैक्सी ड्राइवर को उम्रकैद

Neha Ahlawat Murder Case:  फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट का फैसला, आरोपी पर एक लाख रुपये जुर्माना भी
Neha Ahlawat Murder Case: नेहा (इनसेट) का शव तब मिला जब उसकी स्कूटी चंडीगढ़ के सेक्टर 38 वेस्ट स्थित एक टैक्सी स्टैंड के पास खड़ी मिली। फाइल फोटो
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Neha Ahlawat Murder Case: फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट, चंडीगढ़ ने 21 वर्षीय एमबीए छात्रा नेहा अहलावत के बहुचर्चित रेप और मर्डर केस में 35 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर मोनू कुमार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

यह मामला 30 जुलाई 2010 का है, जब सेक्टर-38 के जंगल क्षेत्र में एक युवती का अर्धनग्न और खून से सना हुआ शव मिला था। पुलिस ने इसे हत्या और दुष्कर्म मानते हुए अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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पीड़िता के पिता ने शिकायत में बताया था कि उनकी 21 वर्षीय बेटी नेहा शाम 6 बजे स्कूटर पर इंग्लिश स्पीकिंग क्लास (सेक्टर-15) के लिए घर से निकली थी। जब वह रात 9 बजे तक घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी सहेलियों से संपर्क किया। एक सहेली ने बताया कि नेहा उसके घर 7:30 बजे आई थी और 7:45 बजे चली गई थी। खोजबीन के दौरान उन्हें सूचना मिली कि नेहा का स्कूटर सेक्टर-38 वेस्ट के टैक्सी स्टैंड के पास खड़ा है और उस पर खून के निशान हैं।

परिजन मौके पर पहुंचे तो सड़क के दूसरी ओर झाड़ियों में नेहा अर्धनग्न अवस्था में खून के तालाब में पड़ी मिली। उसे पीजीआई ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

सालों तक नहीं मिला था आरोपी, 2020 में केस बंद

कई वर्षों की जांच के बावजूद पुलिस अपराधी का पता नहीं लगा सकी और 2020 में केस की फाइल बंद कर दी गई। परिवार लगातार न्याय की उम्मीद में था, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आ रहा था।

2022 के एक अन्य मर्डर-रेप केस में खुला राज

मामला तब सुलझा जब 2022 में इसी इलाके में एक महिला की रेप और हत्या के मामले में आरोपी मोनू कुमार को गिरफ्तार किया गया। मनदीप का शव भी जंगल क्षेत्र में मिला था।

तफ्तीश में पाया गया कि दोनों मामलों में अपराध की शैली एक जैसी थी। वैज्ञानिक साक्ष्यों और जांच के आधार पर मोनू का कनेक्शन नेहा अहलावत केस से भी जुड़ गया, जिसके बाद उसे इस मामले में भी आरोपी बनाया गया।

अभियोजन ने पेश किए ठोस सबूत

अभियुक्त के वकील सुनील कुमार पांडे ने अदालत में कहा कि मोनू को झूठा फंसाया गया है। वहीं, सरकारी अभियोजक ने तर्क दिया कि अभियोजन ने आरोपी के खिलाफ संदेह से परे सभी तथ्य साबित कर दिए हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

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