चंडीगढ़, 6 अगस्त (ट्रिन्यू)
सुषमा जी आधुनिक सोच और पारंपरिक मूल्यों वाली भारतीय संस्कृति की साक्षात प्रतीक थीं और और उनमें हमेशा बड़ों के प्रति सम्मान का भाव देखने को मिलता था। उप-राष्ट्रपति व पंजाब यूनिवर्सिटी के चांसलर एम. वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को पीयू द्वारा आनलाइन आयोजित सुषमा स्वराज मेमोरियल व्याख्यान में ये शब्द कहे।
उन्होंने कहा कि आज उन्हें गर्व है कि वे उस विश्वविद्यालय के चांसलर हैं जिसने सुषमा जी जैसा एक सांसद और यशस्वी नेता देश को दिया। सुषमा जी की भाषा और भाषणों के तो हम सभी मुरीद रहे। भाषा की शुद्धता, शब्दों का चयन, विचारों में निष्ठा और तथ्य उनको एक लोकप्रिय वक्ता बना देते थे। मुझे बताया गया कि भाषण कला का यह हुनर भी उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय की भाषण प्रतियोगिताओं में ही सीखा, जिन्हें वे हर वर्ष जीतती रहीं। इस विश्वविद्यालय से जो सीखा, उसका उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रभावी प्रयोग भी किया। उन्होंने कहा कि सुषमा जी की हिंदी सुनने और सभी के समझने लायक होती थी। वहीं वे अपनी शपथ संस्कृत में ही लेती थीं। हरियाणवी हिंदी पर उनका अधिकार होना तो स्वाभाविक था, लेकिन कर्नाटक में चुनाव लड़ते समय कन्नड़ भाषा में उनके धारा प्रवाह भाषण, उनको बहुभाषा-भाषी बनाते थे। भाषा, राजनैतिक विचारों और संसदीय आदर्शों के प्रति निष्ठा के कारण ही उन्हें ‘उत्कृष्ट सांसद’ का सम्मान प्रदान किया गया।
बेटी बांसुरी समेत सैकड़ों फैकल्टी मेंबर, छात्र रहे मौजूद
पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार ने उपराष्ट्रपति और सुषमा स्वराज के जीवन का संक्षिप्त विवरण दिया। इस मौके पर स्व. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, 800 से भी अधिक फैकल्टी मैंबर, शोधकर्ता और छात्र के साथ ऑनलाइन मौजूद थीं। पीयू के डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शंस प्रो. आरके सिंगला, रजिस्ट्रार प्रो. करमजीत सिंह, डीन कॉलेज प्रो. संजय कौशिक,डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. एसके तोमर और प्रो. सुखबीर कौर भी उपस्थित रही।