विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 29 मार्च
जीएमसीएच-32 में एमबीबीएस की काउंसलिंग में रक्षा कर्मियों के बच्चों को 23 प्रतिशत सीट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट को मामले का जल्द निपटारा करने को कहा है। इस मामले में हाईकोर्ट में अब तक तीन बार सुनवाई हो चुकी है। हाईकोर्ट ने जीएमसीएच-32 से जवाब मांगा था कि उन्होंने रक्षा कर्मियों के 18 बच्चों को सीटें कैसे दी थीं, लेकिन जीएमसीएच प्रशासन ने आज तक इसका जवाब नहीं दिया है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए अंतिम दौर की काउंसलिंग चल रही है, ऐसे में प्रभावित छात्रों के अभिभावक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अपना पक्ष रखा। अभिभावकों ने कहा कि एमबीबीएस में दाखिले के लिए उनके बच्चों ने रात-दिन एक किया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उनके बच्चों के साथ अन्याय किया है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज 32 में 150 सीटें हैं और इसमें 92 सामान्य वर्ग की है, लेकिन इस बार 21 सीटें रक्षा कर्मियों के बच्चों को दे दी गई हैं। इससे पहले रक्षा कर्मियों के दो या तीन बच्चों को ही दाखिला दिया जाता था। इसके अलावा 32.15 प्रतिशत ऑल इंडिया कोटा, 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 3 प्रतिशत केंद्रीय कोटा, 9 सीट एनआरआई के लिए थी।
यह है प्रावधान : पंजाब और हरियाणा में रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए (1%) का आरक्षण है। अभिभावकों का कहना है कि चंडीगढ़ में 150 सीटों में से रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिये एक प्रतिशत कोटा निर्धारित होना चाहिए। उनका कहना है कि स्थानीय बच्चे किसी ओर राज्य में आवेदन नहीं कर सकते, लेकिन रक्षा कर्मियों के बच्चे देशभर में कहीं भी आवेदन कर सकते हैं।
यूटी के लिए नियम : जीएमसीएच-32 में यूटी का कोटा पाने के लिए शहर से दसवीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के प्रमाण पत्र होना चाहिए। ये तीनों कक्षाएं चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से होनी चाहिए। इसके अलावा संस्थान चंडीगढ़ में ही होना चाहिए और उम्मीदवार एक नियमित छात्र होना चाहिए।
जीएमसीएच प्रशासन ने ये कहा था
जीएमसीएच के अधिकारियों ने कहा था कि रक्षा कर्मियों के जिन बच्चों को सीटें दी गई हैं वह मैरिट सूची में थे। चंडीगढ़ में ऐसे उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है। ‘पिछले साल, मेरिट सूची में ऐसे तीन उम्मीदवार थे, लेकिन इस बार रक्षा कर्मियों के बच्चे काफी संख्या में मेरिट में स्थान बनाने में कामयाब रहे।’