चंडीगढ़ 15 मई(ट्रिन्यू)
पंजाब यूनिवर्सिटी के गवर्नेंस रिफॉर्म्स को लेकर पंजाब सरकार ने अपनी राय कमेटी को भेज दी है। सीएम/सीपीएस पंजाब की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में गवर्नेंस रिफॉर्म्स को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में इस पर भी विचार किया गया पीयू के चांसलर और देश के उपराष्ट्रपति द्वारा जो अंतरिम आदेश से कमेटी बनाई गई है उसकी समीक्षा की जाए और पंजाब के गवर्नर को ही पीयू का चांसलर बनाया जाये। पंजाब के डीपीआई परमजीत सिंह की ओर से गवर्नेंस रिफार्म्स को लेकर बनी कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरपी तिवारी को भेजी गई इस रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि कोई भी फैसला पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टेच्युएट के मुताबिक ही लिया जाए। कमेटी में इस बात पर एतराज जताया गया है कि प्रोफेसर आरपी तिवारी को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया जाना पीयू के स्टेच्युएट के प्रावधानों के खिलाफ है। कमेटी ने एक अहम सुझाव यह दिया कि 15 रजिस्टर्ड ग्रैजुएट कांस्टीट्यूएंसी के फेलो की जगह केवल चार ही फेलो चुने जाएं जो सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले हों। इनमें से तीन पंंजाब से और एक चंडीगढ़ से हो।
साथ ही इसमें यह सुझाव दिया गया कि चांसलर की तरफ से जो 36 फेलो मनोनीत किए जाते हैं उसकी जगह केवल 18 ही मनोनीत किए जाएं जिनमें से 9 पंजाब से संबंध रखते हों और पंजाब सरकार की सलाह पर ही रखे जायें। पंजाब की ओर से यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट फाइनल करने से पहले उसमें पंजाब के व्यू/सलाह को शामिल किया जाए और इसे रिपोर्ट से अलग नत्थी करके न भेजा जाये। पंजाब सरकार ने इसके साथ ही उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक को यह भी निर्देश दिया कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि पंजाब यूनिवर्सिटी में कोई भी फैसला स्टेच्युएट के खिलाफ ना हो और कोई इस तरह का निर्णय ना होने पाए जो पंजाब सरकार के हितों के खिलाफ हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो भी प्रस्तावित सुधार हों उन्हें सीनेट से ही पास कराया जाये।