फोर्टिस मोहाली में रोबोटिक तकनीक से स्तन कैंसर का सफल इलाज
फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने स्तन कैंसर के जटिल मामलों के इलाज में क्रांति ला दी है। दुनिया के सबसे उन्नत चौथी पीढ़ी के रोबोट ‘दा विंची एक्सआई’ का उपयोग कर यहां शुरुआती चरण के स्तन कैंसर का सफलता पूर्वक इलाज किया गया।
फोर्टिस मोहाली के एंडोक्राइन और ब्रैस्ट कैंसर सर्जन, डॉ. नवल बंसल ने हाल ही में 38 वर्षीय महिला का इलाज किया, जिसे बाएं स्तन में प्रारंभिक चरण का कैंसर (कार्सिनोमा) था। मरीज ने अस्पताल में समस्या बताई, जिसके बाद जांच में कैंसर की पुष्टि हुई।
ब्रेस्ट-स्पेरिंग सर्जरी: दर्द और घाव में कमी
डॉ. बंसल ने बताया, "मरीज की उम्र को ध्यान में रखते हुए, हमने ब्रेस्ट-स्पेरिंग सर्जरी का चयन किया। साथ ही, सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी का उपयोग किया गया, जो प्रारंभिक स्तन कैंसर के इलाज में स्वर्ण मानक है।" इस प्रक्रिया के दौरान रेडियोआइसोटोप और डाई का इंजेक्शन लगाकर गामा जांच से सेंटिनल नोड की पहचान की गई।
तेजी से रिकवरी और कम जटिलताएं
यह प्रक्रिया बिना किसी जटिलता के पूरी हुई। मरीज को अगले ही दिन बिना किसी ड्रेन पाइप के अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह तकनीक न केवल कम दर्द और घाव के साथ तेजी से रिकवरी प्रदान करती है, बल्कि मरीजों को बेहतर जीवन जीने में भी सक्षम बनाती है।
कैंसर उपचार में नई उम्मीद
डॉ. बंसल ने बताया, "सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी कैंसर के चरण का सटीक पता लगाती है और बीमारी के प्रसार की जानकारी देती है। यह तकनीक कम आक्रामक और अत्यधिक प्रभावी है, जो शुरुआती चरण में स्तन कैंसर से जूझ रही महिलाओं को अतिरिक्त शल्य चिकित्सा और बाहों की सूजन से बचाती है।"
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।