हरियाणा में जहरीली खांसी की दवाई पर सख्त एक्शन, स्वास्थ्य मंत्री ने दिए कड़े निर्देश
संदिग्ध दवाओं पर तुरंत कार्रवाई होगी, जहर बेचने वालों को छोड़ेंगे नहीं : आरती राव
प्रदेश में खांसी की एक दवाई में जहरीले रसायन की मिलावट सामने आने के बाद सरकार पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की जांच में प्लानोकूफ डी सिरप के एक बैच में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक घातक रसायन पाया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि बैच नंबर आर-25053101 में डीईजी की मात्रा 0.35 प्रतिशत है, जबकि मानक सीमा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक डीईजी एक अत्यंत विषैला रसायन है, जो किडनी फेलियर, तंत्रिका तंत्र को नुकसान और मृत्यु तक का कारण बन सकता है। खासकर बच्चों के लिए इसका खतरा कई गुना अधिक है।
रिपोर्ट सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने सभी जिलों के अधिकारियों को कड़ा अलर्ट जारी करते हुए कहा कि किसी की सेहत से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि संदिग्ध दवाओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि हरियाणा में दवाओं की गुणवत्ता पर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू होगी।
हर बैच की गैस क्रोमैटोग्राफी जांच जरूरी : गोयल
राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. ललित कुमार गोयल ने सभी जिलों को अत्यंत आवश्यक अलर्ट जारी कर संदिग्ध बैच की सैंपलिंग, जांच और जब्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि सभी दवा निर्माण इकाइयों को अब प्रोपिलीन ग्लाइकोल (पीजी) के हर बैच की गैस क्रोमैटोग्राफी जांच करानी होगी। बिना लाइसेंस वाले व्यापारियों से पीजी की खरीद भी प्रतिबंधित कर दी गई है।
यदि किसी सैंपल में डीईजी या ईथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) पाया जाता है, तो संबंधित उत्पाद का तुरंत रिकॉल (बाज़ार से वापसी) करना होगा। देश में इससे पहले भी डीईजी मिलावट के कारण बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। अब हरियाणा सरकार ने दवा सुरक्षा को लेकर कठोर और चरणबद्ध नीति अपनाने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
