कहानियां सिर्फ कहानियां नहीं होतीं वे ऐसा दर्पण होती हैं जिसमें जीवन दिखता है, समाज दिखता है, और कहीं कहीं न कहीं कहानीकार का मन, उसके आदर्श उसके सुकोमल भाव कुछ इस प्रकार अभिव्यक्त होते हैं कि पढऩे वाले को लगता है, कि कहानी के मूल में वही है। यह विचार रविवार को डाॅ. रेखा मित्तल के कहानी संग्रह ‘दिल के दरीचे से’ का विमोचन करते हुए चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने व्यक्त किए। यह कार्यक्रम पंजाब कला भवन, सेक्टर-16 में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने शिरकत की। वे हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत , पंचकूला के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इस संकलन में कुल 30 कहानियाँ जीवन के तीस बिंब हैं और हर कहानी एक अलग कहानी कहती है। इससे पूर्व भी रेखा मित्तल के दो काव्य संग्रह दूज का चांद, नेह के धागे और एक कहानी संग्रह कागज की कश्ती प्रकाशित हो चुके हैं। कहानियों की इस पुस्तक पर अपनी बात रखने वालों में डॉक्टर निर्मल सूद, भूपेन्द्र मलिक, अनु रानी शर्मा व श्री प्रदीप गर्ग प्रमुख थे जबकि कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. प्रदीप राठौर ने किया। चंडीगढ़ वैल्युएबल कम्युनिटी के संस्थापक राजेंद्र सिंह प्रोग्राम में शामिल हुए।
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पंजाब कला भवन, सेक्टर-16 में आयोजित डॉ. रेखा मित्तल के कहानी संग्रह का विमोचन करते साहित्यकार। -हप्र
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