अंतरिक्ष अब व्यवसाय के लिए खुला है : एस. सोमनाथ
इसरो के पूर्व चेयरमैन और जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा पर उतरना भारत के लिए कोई सपना नहीं है; हम इस पर काम कर रहे हैं। 2047 तक, भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष में एक स्थायी मानव उपस्थिति, कक्षा में एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा, मंगल और उससे आगे की खोज करने वाले स्वदेशी मिशन स्थापित करना है। आज पीयू संगोष्ठी श्रृंखला के अंतर्गत एक व्याख्यान में 2023 की भारतीय अंतरिक्ष नीति के तहत अंतरिक्ष में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वार खोले हैं और गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए समर्थन को मजबूत किया है। अपने व्याख्यान में, ‘भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र : व्यवसाय और स्टार्टअप के लिए अवसर’ शीर्षक से उनके व्याख्यान में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास, निजी उद्यमों की भूमिका और देश में अंतरिक्ष उद्यमिता के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अब व्यवसाय के लिए खुला है।
पीयू की कुलपति प्रोफेसर रेणु विग ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की, इस अवसर पर डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शंस प्रोफेसर योजना रावत, रजिस्ट्रार प्रोफेसर वाई.पी. वर्मा, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ की निदेशक प्रोफेसर मीनाक्षी गोयल और पीयू संगोष्ठी समन्वयक प्रोफेसर देश दीपक सिंह भी उपस्थित थे।
आपदा प्रबंधन में उपग्रह डेटा की भूमिका पर डाला प्रकाश
डॉ. सोमनाथ ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की निगरानी और पूर्वानुमान, जंगल की आग की चेतावनी और आपदा प्रबंधन में उपग्रह डेटा की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इसरो का भारतीय भू-प्लेटफ़ॉर्म, भुवन जैसे प्लेटफ़ॉर्म, कृषि, वानिकी, आपदा प्रतिक्रिया और शासन के लिए वेब-आधारित भू-स्थानिक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये नवाचार किसानों को उत्पादकता बढ़ाने, जोखिम कम करने, समय पर जानकारी प्राप्त करने और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।