क्या आपका बच्चा लगातार मोबाइल या स्क्रीन पर समय बिताता है और उसका चश्मे का नंबर तेज़ी से बढ़ रहा है? अगर हाँ, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। सोहाना आई हॉस्पिटल ने ट्राईसिटी में पहला B'मायोपिया मैनेजमेंट क्लिनिक' B शुरू किया है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों और किशोरों में तेज़ी से बढ़ रहे नज़दीकी दृष्टि दोष (मायोपिया) को रोकना है। 25 लाख से अधिक सफल सर्जरी और 200+ वरिष्ठ कंसल्टेंट्स की विशेषज्ञ टीम के साथ, सोहाना हॉस्पिटल लंबे समय से उत्तरी भारत में गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा का प्रतीक रहा है। अस्पताल की सी.ओ.ओ. और सीनियर सर्जन Bडॉ. अमनप्रीत कौर B ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, खासकर कोविड-19 के बाद, बच्चों में मायोपिया बहुत तेज़ी से बढ़ा है। मोबाइल, ऑनलाइन क्लास और स्क्रीन टाइम ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। मायोपिया केवल चश्मा लगाने का मामला नहीं है, बल्कि यह एक बीमारी है, जो बड़े होकर आँखों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है। डॉ. कौर ने कहा कि इस क्लिनिक का उद्देश्य केवल चश्मे का नंबर बदलना नहीं, बल्कि उसे Bबढ़ने से रोकना B है। इसके लिए यहाँ अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक और उपचार तकनीकें उपलब्ध कराई गई हैं। सोहाना हॉस्पिटल ट्रस्ट के सचिव Bसरदार गुरमीत सिंह B ने कहा कि अस्पताल ने हमेशा लोगों की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी है। हमें महसूस हुआ कि बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए इस क्लिनिक की आवश्यकता है। यह नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित है। यह क्लिनिक हर मंगलवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को शाम 3 से 5 बजे तक चलेगा। रोज़ाना 8,000 से अधिक मरीजों की देखभाल करने वाला सोहाना हॉस्पिटल इस पहल से उत्तरी भारत में नेत्र स्वास्थ्य को नई दिशा देने जा रहा है।