जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 नवंबर
पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट के चुनाव तो हो चुके हैं मगर अभी तक चुने गये सीनेटरों की अधिसूचना जारी नहीं हो पायी है। सीनेटरों के चुने जाने की अधिसूचना चांसलर/उपराष्ट्रपति कार्यालय द्वारा की जानी है। पीयू इंटरस्टेट बॉडी कारपोरेट होने के नाते देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसके चांसलर देश के उप-राष्ट्रपति होते हैं। चांसलर आफिस में पूछे जाने पर बताया गया कि अभी नोटिफिकेशन जारी होने में कुछ और वक्त लग सकता है। कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी से लिस्ट में शामिल एक सदस्य के बारे में कुछ स्पष्टीकरण मांगा गया है, इसके बाद ही नोटिफिकेशन जारी करने पर विचार होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले करीब डेढ़ साल से पंजाब विश्वविद्यालय के रूटीन के कामकाज बिना सीनेट-सिडिंकेट के ही चल रहे हैं। पिछले साल अक्तूबर तक सीनेट के चुनाव कराये जाने थे मगर कभी कोविड-19 महामारी तो कभी पीयू की राजनीति के चलते सीनेट चुनाव पूरे एक साल लेट हो गये। पिछले साल दिसंबर में ही सिंडिकेट की भी टर्म समाप्त हो गयी थी जिस कारण पीयू के पास इस समय गवर्निंग बॉडी जैसी किसी चीज का वजूद नहीं है। अभी तक सभी फैसले कुलपति महोदय सीनेट-सिंडिकेट से मंजूरी मिलने की प्रत्याशा में खुद ही ले रहे हैं।
रजिस्ट्रार विक्रम नैयर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीनेटरों के नामों की सूची तो चांसलर को जारी करनी है, इसमें उनका कोई रोल नहीं होता। जब उनसे पूछा गया कि चांसलर आफिस ने उनसे क्लैरिफिकेशन किस चीज की मांगी है तो उन्होंने बताया कि एक सीनेटर तरुण घई को लेकर चांसलर आफिस ने स्पष्टीकरण मांगा है क्योंकि घई को कालेज की ओर से डिसमिस किया हुआ है। उन्होंने कहा िक हम इस पर लीगल राय ले रहे हैं और जल्द ही चांसलर को रिपोर्ट भेज देंगे।
हालांकि उन्होंने कुलपति के खिलाफ बयानबाजी करने वाले सीनेटर अशोक गोयल के बारे में किसी तरह के अड़ंगे से साफ इनकार किया लेकिन यह अवश्य कहा कि उनके खिलाफ प्रो. विजय चोपड़ा ने कोर्ट में एक अर्जी डाली हुई है।
एडहॉक पर चल रही है पीयू
पंजाब यूनिवर्सिटी में कई शीर्ष पदों पर रेगुलर अधिकारी की बजाय आफिशिएटिंंग या कामचलाऊ अफसरों से काम लिया जा रहा है। रजिस्ट्रार का कार्यभार एफडीओ विक्रम नैयर को दे रखा है क्योंकि रेगुलर रजिस्ट्रार प्रो. कर्मजीत सिंह पंजाब की एक यूनिवर्सिटी में कुलपति बनकर छुट्टी पर चले गये हैं। वहीं, कंट्रोलर का जिम्मा डेंटल इंस्टीच्यूट के प्रो. जगत भूषण को दिया हुआ। यहां पर भी रेगुलर परीक्षा नियंत्रक प्रो. परविंदर सिंह रयात बाहरा में कुलपति बनकर चले गये। इसी तरह हाल ही में डीन रिसर्च बने प्रो. एसके तोमर फिलहाल डीएसडब्ल्यू का भी जिम्मा संभाले हुए हैं। प्रो. तोमर एकेडमिक स्टाफ कालेज के डायरेक्टर भी हैं। डीएडब्ल्यू वूमेन प्रो. मीना शर्मा के पास सेंट्रल प्लेसमेंट सेल के हेड और यूबीएस की कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी है। यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल के चेयरमैन का कामकाज डीयूआई प्रो. वीआर सिन्हा देख रहे हैं क्योंकि यूबीएस की चेयरमैनी को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है। डीन कालेज डिवेल्पमेंट कौंसिल के पद पर तीन साल रहने वाले प्रो. संजय कौशिक इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि वे भी इस पद पर रेगुलर नहीं थे। इसका काम फिलहाल डीन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स प्रो. अंजू सूरी देख रही हैं। कुलपति के सचिव प्रो. देविंदर सिंह लॉ विभाग के चेयरपर्सन होने के साथ-साथ अंबेडकर सेंटर के निदेशक भी हैं। इसी तरह से स्पोर्ट्स डायरेक्टर प्रो. परमिंदर सिंह के निधन के बाद से उनका पद भी प्रो. प्रशांत गौतम संभाल रहे हैं। यूआईएएमएस में भी चेयरपर्सन का पद खाली चल रहा है, जिसे डीयूआई देख रहे हैं।
पूर्व सीनेटर और भाजपा नेता डॉ. सुभाष शर्मा चांसलर को इस बारे में लिख चुके हैं कि पीयू एडहॉक पर चल रही है, रेगुलर लोगों की भर्ती नहीं की जा रही है। सीनेटर रौणकी राम ने भी चांसलर को चिट्ठी भेजी है कि पीयू के शीर्ष ओहदे तदर्थ आधार पर चल रहे हैं, सिंडिकेट के निर्णय के बावजूद एक व्यक्ति को एक से ज्यादा पदों का जिम्मा दे रखा है जो नियमों का सरासर उल्लंघन है।