‘विरासत-25’ में सरताज ने बिखेरा अपनी आवाज का जादू
पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक मुख्य अतिथि के तौर पर रहे मौजूद
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 21 मार्च (हप्र)
सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज के वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव ‘विरासत-25’ में शुक्रवार को मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया उपस्थित रहे। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव वीपी सिंह, जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के महासचिव प्रो. अनिरुद्ध जोशी, वित्त सचिव जितेंद्र भाटिया, सचिव पीके बजाज तथा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा भी उपस्थित थे। विरासत में प्रसिद्ध सूफी गायक डॉ. सतिंदर सरताज की लाइव प्रस्तुति देखने के लिए कॉलेज परिसर में दस हजार से अधिक प्रशंसकों की भीड़ उमड़ी। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच डॉ. सरताज की जादुई आवाज ने उनके हिट गीतों की लय पर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिनमें ‘साईं वें’, ‘मासूमियत’, ‘हीरीए फकीरिये’, ‘तितली’ और ‘सज्जन राजी’ शामिल थे, जिसने कॉलेज की शाम को वास्तव में अविस्मरणीय बना दिया। उन्होंने न केवल अपनी भावपूर्ण आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि चिमटा और डफली सहित असंख्य वाद्ययंत्र बजाकर अपने प्रदर्शन में एक अनूठा आकर्षण जोड़ा। राज्यपाल ने जीजीडीएसडी कॉलेज की शैक्षणिक उत्कृष्टता, नवाचार और समग्र शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की और भविष्य के नेताओं को तैयार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इस वार्षिक उत्सव का हिस्सा बनने पर उन्हें खुशी है, जिसमें सतिंदर सरताज जैसे उत्कृष्ट और नशामुक्ति अभियान के सच्चे ब्रांड एंबेसडर शामिल हैं। डॉ. सतिंदर सरताज ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें नशामुक्ति अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में जो भूमिका सौंपी गई है, वह उसे पूरी तरह निभाने की कोशिश कर रहे हैं।
मिष्ठी बनीं मिस और अर्पित मिस्टर विरासत
कार्यक्रम के दौरान कई शानदार प्रस्तुतियां भी हुईं। सुबह के सत्र में गायक एसी भारद्वाज के दिलकश प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्रों ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कैटवॉक, स्टाइल और ग्रेस का प्रदर्शन किया और प्रतिष्ठित खिताबों के लिए प्रतिस्पर्धा की। मिस विरासत का ताज मिष्ठी को मिला, जबकि मिस्टर विरासत का खिताब अर्पित ने जीता। रंग-ए-विरासत का सम्मान श्रेया और निखिल को दिया गया। वहीं, भगवान कौर और अर्णव शर्मा को नूर-ए-एहसास के खिताब से सम्मानित किया गया।

