मोहाली, 18 फरवरी (निस)
मोहाली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की। कांग्रेस ने 35 सीटें जीतीं जबकि आजाद ग्रुप ने 13 और दो स्वतंत्र उम्मीदवार जीते। कांग्रेस की जीत के बाद पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के भाई अमरजीत सिंह सिद्धू ‘जीती’ का मेयर बनना लगभग तय है। हालांकि ‘जीती’ ने कहा कि मेयर का फैसला पार्टी हाईकमान की ओर से किया जायेगा। चुनाव नतीजों में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पायी।
आम आदमी पार्टी आजाद ग्रुप के साथ गठबंधन से चुनाव मैदान में थी। शिरोमणि अकाली दल की हार का कारण आजाद ग्रुप रहा। क्योंकि आजाद ग्रुप ने जो उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे वे सभी शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर आजाद ग्रुप में शामिल हुए थे। वहीं, कृषि सुधार कानूनों के विरोध का साफ-साफ असर भाजपा उम्मीदवारों पर पड़ा। भाजपा के जो उम्मीदवार जीत के प्रबल दावेदार थे, वे भी जीत नहीं सके। कृषि कानून सुधार विरोध के चलते शिअद और भाजपा ने अपने रास्ते अलग-अलग कर लिए थे। यह पहला चुनाव था, जो दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा।
मोहाली नगर निगम का सफर
वर्ष 2010 में कांग्रेस की सत्तासीन नगर परिषद को समय से पहले ही अकाली सरकार ने भंग कर दिया था। 31 दिसंबर, 2010 को परिषद की जगह शहर में निगम बनाने का ऐलान कर दिया था। एक जनवरी 2011 से निगम का एडमिनिस्ट्रेटर लगा दिया गया था। तब से लेकर 2015 तक पूरा नगर निगम बिना चुनाव करवाये एडमिनिस्ट्रेटर के सहारे ही अकाली सरकार चलाती रही है। फरवरी 2015 में निगम के लिए चुनाव करवाया गया था। उसमें अकाली दल सत्ता पाने में कामयाब रहा। बलवंत सिंह रामूवालिया अकाली दल का मेयर बनाने के लिए जोड़-तोड़ करने में जुटे रहे थे। रामूवालिया के अकाली दल छोड़ यूपी में मंत्री बनने के बाद कुलवंत सिंह दोबारा से अकाली दल में आये थे।