RSS@100 ‘चरित्र, स्व बोध और समरसता से ही भारत बनेगा सशक्त राष्ट्र’
विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपना 100वां स्थापना दिवस पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया। 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित संघ आज दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है।
शहर के मनोहर इंफ्रा प्रांगण में आयोजित शताब्दी समारोह में विधिवत शस्त्र पूजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल राज कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्य वक्ता पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के डॉ. वीरेंद्र गर्ग उपस्थित रहे। समारोह में लगभग 250 गणमान्य लोग और 70 स्वयंसेवक शामिल हुए।
पंच परिवर्तन: विकास का सूत्र
अपने संबोधन में डॉ. वीरेंद्र गर्ग ने कहा कि भारत का समग्र विकास पांच मूल्यों पर आधारित है—‘स्व’ बोध, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य निर्वहन, सामाजिक समरसता और आदर्श परिवार प्रणाली। उन्होंने कहा कि चरित्रवान और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक किसी भी राष्ट्र की वास्तविक शक्ति होते हैं।
उन्होंने गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान को पूरी मानवता के लिए प्रेरणा बताते हुए कहा कि यह बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का अमर संदेश है। डॉ. गर्ग ने पर्यावरणीय संकट को वैश्विक चुनौती मानते हुए भारत में पर्यावरण हितैषी जीवनशैली की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने को आत्मनिर्भर भारत की कुंजी बताया।
सेवा और राष्ट्रभक्ति की मिसाल
मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल राज कुमार सिंह ने कहा कि संघ ने अपनी सौ वर्ष की यात्रा में सेवा, भाईचारे और राष्ट्रभक्ति को जीते-जागते आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया है। संकट की हर घड़ी में संघ के स्वयंसेवक राष्ट्रहित में अग्रणी भूमिका निभाते आए हैं।