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Robotic Care कैंसर मरीज की ट्रांसप्लांट किडनी बची, रोबोटिक सर्जरी ने बदली जिंदगी

Robotic Care कैंसर और जटिल यूरो संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए रोबोटिक तकनीक तेजी से जीवनरक्षक विकल्प बन रही है। इसी तकनीक की मदद से एक 56 वर्षीय व्यक्ति, जिसकी ट्रांसप्लांटेड किडनी में तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर...
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Robotic Care कैंसर और जटिल यूरो संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए रोबोटिक तकनीक तेजी से जीवनरक्षक विकल्प बन रही है। इसी तकनीक की मदद से एक 56 वर्षीय व्यक्ति, जिसकी ट्रांसप्लांटेड किडनी में तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर पाया गया था, का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। मरीज ने पहले 2018 में किडनी ट्रांसप्लांट कराया था और हाल ही में जांच के दौरान ट्यूमर का पता चला। विशेषज्ञों ने उसके मामले का मूल्यांकन कर रोबोट एडेड ट्रांसप्लांट किडनी पार्शियल नेफ्रेक्टोमी का निर्णय लिया, जिसमें केवल ट्यूमर हटाया गया और किडनी सुरक्षित रखी गई।

उपचार फोर्टिस अस्पताल मोहाली में किया गया, जहां यूरो ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. धर्मेंदर अग्रवाल ने यह प्रक्रिया दा विंची एक्सआई रोबोट की सहायता से पूरी की। सर्जरी के बाद मरीज का यूरिन आउटपुट सामान्य रहा और ट्रांसफ्यूजन या डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी। वह दस घंटे में चलने लगे और तीसरे दिन छुट्टी मिल गई। आज मरीज सामान्य जीवन जी रहे हैं।

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विशेषज्ञों ने इसी तकनीक से यूरिनरी ब्लैडर हटाने और छोटी आंत की सहायता से नया यूरिन पासिंग चैनल बनाने जैसी जटिल प्रक्रिया भी सफलतापूर्वक की। हृदय और गुर्दे की समस्या होने के बावजूद मरीज पांचवें दिन घर लौट सका।

एक अन्य चुनौतीपूर्ण मामले में 62 वर्षीय मरीज की किडनी में बड़ा ट्यूमर और गुर्दे की नस में थ्रोम्बस मिला। पीईटी स्कैन के बाद रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी और आईवीसी थ्रोम्बेक्टोमी की गई। खतरा यह था कि थ्रोम्बस हृदय तक पहुंच सकता था, लेकिन टीम ने पूरी आईवीसी को नियंत्रित कर ट्यूमर सुरक्षित रूप से हटा दिया। मरीज आठ घंटे में चलने लगे और तीन दिन बाद छुट्टी दे दी गई। डॉ. अग्रवाल अब तक 700 से अधिक रोबोटिक सर्जरी कर चुके हैं।

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