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स्ट्रोक के इलाज में क्रांति : 80 वर्षीय महिला की जान बचाने वाली 'मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी'

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस चंडीगढ़, 19 जनवरी ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या, जो अक्सर मृत्यु या दिव्यांगता का कारण बनती है, अब उन्नत तकनीकों से प्रभावी ढंग से प्रबंधित की जा रही है। फोर्टिस मोहाली में उपलब्ध 'मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी' तकनीक ने...
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 19 जनवरी

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ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या, जो अक्सर मृत्यु या दिव्यांगता का कारण बनती है, अब उन्नत तकनीकों से प्रभावी ढंग से प्रबंधित की जा रही है। फोर्टिस मोहाली में उपलब्ध 'मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी' तकनीक ने एक 80 वर्षीय महिला की जान बचाकर यह साबित कर दिया कि यह उपचार स्ट्रोक मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकता है।

क्या है मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी?

यह एक अत्याधुनिक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें कैथेटर के माध्यम से मस्तिष्क की धमनी में मौजूद खून के थक्के को हटाया जाता है। इस प्रक्रिया से रक्त प्रवाह बहाल होता है, और मरीजों के इलाज की समय सीमा 24 घंटे तक बढ़ाई जा सकती है।

कैसे बचाई जान?

चंडीगढ़ की 80 वर्षीय महिला को स्ट्रोक के 8 घंटे बाद फोर्टिस मोहाली लाया गया था। वह बोलने में असमर्थ थीं और बाएं हिस्से में लकवे से पीड़ित थीं। डॉक्टरों की टीम, जिसमें इंटरवेंशनल न्यूरोरैडियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. विवेक गुप्ता शामिल थे, ने मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी और एंजियोप्लास्टी की मदद से उनकी बंद धमनियों से थक्के हटाए। सात दिन में मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गईं।

फोर्टिस मोहाली: स्ट्रोक उपचार का हब

फोर्टिस मोहाली उत्तर भारत के उन चुनिंदा अस्पतालों में से एक है, जहां 24x7 स्ट्रोक उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरो-रेडियोलॉजिस्ट और अन्य विशेषज्ञों की टीम हर समय तैयार रहती है। “मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी ब्रेन स्ट्रोक के 24 घंटे के भीतर किए जाने पर बेहद प्रभावी साबित हो सकती है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह तकनीक उन मरीजों के लिए जीवनदायी है, जिनके लिए समय पर इलाज संभव नहीं हो पाता।

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