प्रेमचंद जयंती पर ‘नमक का दारोगा’ का पाठ
कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर यूको बैंक ने ‘कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद’ विषय पर एक संगोष्ठी की। अंचल प्रमुख मिलन दुबे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा की। सुनंदित शुक्ल ने मुंशी प्रेमचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य सुबोध सिंह ने कहा कि वे पहले हिंदी और उर्दू लेखक थे जिन्होंने समाज के वंचित वर्गों के जीवन को गहराई से लिखा। मुख्य प्रबंधक प्रदीप चतुर्वेदी ने कहा कि प्रेमचंद युगद्रष्टा साहित्यकार ही नहीं, एक युगद्रष्टा पत्रकार भी थे। इस अवसर पर उनकी सुप्रसिद्ध कहानी ‘नमक का दारोगा’ का पाठ किया गया। अजित शंकर, दिलजोत कौर,सोनम, रिदम, प्रतीश एवं सुबोध सिंह ने कहानी का पाठ किया। मिलन दुबे ने कहा कि ‘नमक का दारोग़ा’ कहानी में एक ईमानदार व्यक्ति को सख्ती से उचित कार्रवाई करने के कारण, नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया जाता है, किन्तु जिस सेठ की घूस उसने अस्वीकार की थी, वह उसे अपने यहां ऊंचे पद पर नियुक्त करता है। इस प्रकार ईमानदारी और सत्कर्म का फल सुखद होता है। उन्होंने प्रेमचंद जयंती पर आज के संदर्भों में अत्यंत प्रासंगिक कहानी के चयन के लिए राजभाषा विभाग की सराहना की।