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राव के ‘अनुशासन’ से कांग्रेस की गुटबाजी के किले में सेंध!

राजनीतिक विश्लेषण : हरियाणा में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के लिए नयी समिति ‘कवच’ भी और ‘कसौटी’ भी

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राव नरेंद्र सिंह। -फाइल फोटो
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हरियाणा कांग्रेस के दफ्तर में इन दिनों हवा बदली हुई है। बैठकों में मुस्कुराहट कम और निगाहें चौकन्नी ज्यादा हैं। हर नेता जुबान तोल रहा है, हर शब्द मापा जा रहा है। क्योंकि अब बोलने से पहले सोचना होगा। यह वही कांग्रेस है, जिसने लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटें जीतकर हरियाणा की राजनीति में फिर से सांस ली थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में जीत का वह जश्न छिन गया।

कांग्रेस के अंदरुनी बिखराव ने पार्टी को सत्ता के दरवाजे के बाहर ही रोक दिया। यह हार बाहरी नहीं थी। यह कांग्रेस के भीतर की लड़ाई की आवाज थी। नेताओं की बयानबाजी, खेमों की रस्साकशी और अनुशासनहीनता की गंध संगठन के हर स्तर तक पहुंच चुकी थी। अब, उसी गंध को साफ करने की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने अपने हाथों में ली है।

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हाईकमान की हरी झंडी के साथ राव ने कांग्रेस के भीतर ‘अनुशासन की सर्जरी’ शुरू की है, नयी अनुशासन समिति बनाकर। चेतावनी साफ है कि- अब बयान नहीं, मर्यादा चलेगी। राय पार्टी के भीतर, राजनीति बाहर। सभी को साथ लेकर चलने के संकेत पहले ही दे चुके प्रदेशाध्यक्ष यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वे पार्टी के लिए काम करेंगे किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं।

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हरियाणा कांग्रेस के सामने अब असली जंग अस्तित्व की है। राव नरेंद्र की अनुशासन समिति अब कांग्रेस के आत्ममंथन की पहली सीढ़ी है। यह कमेटी तय करेगी कि कांग्रेस गुटों की छाया से निकलकर संगठन की रोशनी में खड़ी हो पाएगी या नहीं।

राजनीतिक दृष्टि से अनुशासन कमेटी राव नरेंद्र सिंह के लिए कवच भी है और कसौटी भी। कवच इसलिए कि इससे वे संगठन के भीतर अनुशासन लागू कर सकेंगे। और कसौटी इसलिए कि अगर यह प्रयोग असफल रहा, तो जिम्मेदारी उन्हीं की मानी जाएगी। राव की साख अब इस समिति की सक्रियता और सख्ती से जुड़ चुकी है। कांग्रेस के लिए यह समय संगठन की सफाई का ही नहीं, बल्कि नेतृत्व की परीक्षा का भी है।

पहले भी थी कमेटी, पर ‘बेजुबान’! : इससे पहले पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में भी अनुशासन समिति बनी थी। पर वह मौन अध्याय बनकर रह गई।

कमान ‘जीटी रोड’ बेल्ट को : अनुशासन कमेटी में कांग्रेस ने हर वर्ग को जोड़ा है, मगर कमान अब भी जीटी रोड बेल्ट के हाथों में है। जाट समुदाय से वरिष्ठ नेता धर्मपाल मलिक कमेटी के चेयरमैन हैं। अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में अकरम खान, ओबीसी और महिला प्रतिनिधित्व के तौर पर कैलाशो सैनी, एससी व युवा वर्ग से अनिल धन्तौड़ी और वैश्य समाज व विधिक दृष्टिकोण से वरिष्ठ अधिवक्ता रोहित जैन को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। इस संतुलन से कांग्रेस ने एक साथ दो संदेश दिए हैं - ‘सर्जरी भी होगी, और संवेदनशीलता भी रहेगी।’

...वरना दिल्ली देखेगी : दिल्ली दरबार ने राव नरेंद्र को फ्रीहैंड दिया है। लेकिन छूट चेतावनी के साथ। अनुशासन रखो, वरना नियंत्रण दिल्ली से होगा। ‘स्वशासन की प्रयोगशाला’ के तौर पर बनी अनुशासन समिति पहला टेस्ट है। अगर सक्रिय रही, तो यह मॉडल अन्य राज्यों में जाएगा।

पिघलेगी गुटबाजी की जमी बर्फ

हरियाणा कांग्रेस की पुरानी बीमारी ‘गुटबाजी’ अब रहस्य नहीं, हकीकत है। नाम बड़ा, लेकिन संगठन बिखरा हुआ। कभी हुड्डा बनाम सैलजा, तो कभी सुरजेवाला बनाम अन्य। हर दौर में शक्ति केंद्रों की खींचतान ने कांग्रेस को संगठन नहीं, समीकरणों का घर बना दिया। राव नरेंद्र अब उसी जड़ता पर सर्जिकल वार कर रहे हैं। उनका फॉर्मूला स्पष्ट है- ‘कांग्रेस अब खबरों की पार्टी नहीं, संगठन की पार्टी बनेगी।’

नरेंद्र सिंह का ‘क्लीन-अप कोड’

राव नरेंद्र के आने के साथ पार्टी की भाषा बदली है। उनकी शैली- कम बोलो, साफ बोलो और संगठन में बोलो है। अनुशासन समिति की सिफारिश इसी सोच का अगला कदम है। उनका संदेश दो-टूक है- ‘अब कांग्रेस में राय संगठन में दी जाएगी, मंचों या मीडिया में नहीं।’ यह उनका ‘क्लीन-अप कोड’ है, जो हर उस प्रवृत्ति पर प्रहार करता है, जिसने कांग्रेस को बार-बार ‘विवादों की पार्टी’ बना दिया, लेकिन ‘संयम की पार्टी’ नहीं बनने दिया।

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