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रायपुरकलां-बलटाना रेलवे अंडरब्रिज की राह खुली

प्रशासक ने 6.40 करोड़ जमा करने की दी मंजूरी । भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा
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रायपुरकलां और बलटाना के बीच प्रस्तावित रेलवे अंडरब्रिज को आखिरकार वह प्रशासनिक सहमति मिल गई है, जिसका इंतजार सात वर्ष से किया जा रहा था। पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने रेलवे को चंडीगढ़ प्रशासन की हिस्सेदारी के रूप में रुपये 6.40 करोड़ जमा कराने को स्वीकृति दे दी है। यह मंजूरी संशोधित परियोजना लागत के पचास फीसदी हिस्से के अनुरूप है।

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मंजूरी के साथ यह शर्त भी जोड़ी गई है कि परियोजना को यूटी वित्त विभाग के 12 अक्तूबर 2025 के आदेश के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा औपचारिक अनुमति मिलनी चाहिए और 5 कनाल 19 मरला भूमि का अधिग्रहण पूरी तरह पूरा हो। अधिकारियों के अनुसार भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और प्रभावित मालिकों को मुआवजा अगले सप्ताह जारी होने की संभावना है।

नॉर्दर्न रेलवे और यूटी प्रशासन के संयुक्त प्रयास से तैयार यह परियोजना 2021–22 में रुपये 7.99 करोड़ में मंजूर हुई थी। इसमें यूटी प्रशासन का हिस्सा रुपये 4 करोड़ और रेलवे का हिस्सा रुपये 3.99 करोड़ तय हुआ था। चार साल तक निर्माण शुरू न होने के कारण लागत बढ़कर रुपये 12.81 करोड़ पहुंच गई। इसके बाद रेलवे ने यूटी से संशोधित हिस्सेदारी के तौर पर रुपये 6.405 करोड़ जमा कराने का अनुरोध किया, जिसके लिए अब मंजूरी मिल गई है।

सात साल से अटकी परियोजना में आई तेजी

हरमिलाप नगर, बलटाना, रायपुरकलां और आसपास के इलाकों में सुबह–शाम फाटक पर लगने वाले भारी जाम से राहत दिलाने के लिए इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना 2017 में की गई थी। लेकिन भूमि अधिग्रहण में देरी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी न होने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। जुलाई में यूटी प्रशासन ने रायपुरकलां में 0.74 एकड़ भूमि अधिग्रहण का नोटिस जारी किया था। सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट बताती है कि इस अधिग्रहण से किसी परिवार को विस्थापित नहीं होना पड़ेगा, हालांकि दो परिवार कृषि भूमि खो देंगे।

ट्राईसिटी के बड़े हिस्से को फायदा

अंडरब्रिज बनने के बाद रायपुरकलां, मौली जागरां, विकास नगर, बलटाना, जीरकपुर, ढकोली और पंचकूला के हजारों निवासियों को रोजाना फाटक पर लगने वाले जाम से स्थायी राहत मिलेगी। लोग इस परियोजना के लिए काफी समय से संघर्ष कर रहे थे और यूटी तथा पंजाब दो क्षेत्रों का मामला होने के कारण प्रक्रिया में काफी विलंब हुआ। इससे एम्बुलेंस, स्कूल वाहनों और ऑफिस समय में आने जाने वाले यात्रियों को भी सुगम मार्ग मिलने की उम्मीद है। हरमिलाप नगर वार्ड की काउंसलर उषा रानी के पति प्रताप सिंह राणा के अनुसार परियोजना रिपोर्ट 2017 में ही तैयार हो गई थी और स्थानीय निवासी इसके निर्माण का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।

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