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अमेरिका में अजनाला Ajnala नरसंहार पीड़ितों पर चर्चा करेंगे पीयू के डॉ. सहरावत

77वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में लेंगे भाग
जेएस सहरावत।
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चंडीगढ़, 16 फरवरी (ट्रिन्यू)

अज्ञात मानव अवशेषों की पहचान के लिए दांतों के आइसोटोप विश्लेषण और आणविक जांच की नवीन वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करने वाले पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. जेएस सहरावत को अमेरिका से बुलावा आया है। मानव विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर जेएस सहरावत 17 से 22 फरवरी तक बाल्टीमोर कन्वेंशन सेंटर (अमेरिका) में आयोजित होने वाले अकादमी के 77वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में अपनी प्रस्तुति देंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित अमेरिकन एकेडमी ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (एएएफएस) ने उन्हें इसके लिये बुलावा भेजा है। डॉ. सहरावत पिछले कई वर्षों से अकादमी के स्थायी सदस्य हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में यूरोपीय सहयोग (ई-कॉस्ट) के एमडीवीआई कार्यकारी समूह के सदस्य भी हैं। अपनी पहली मौखिक प्रस्तुति में डॉ. सहरावत ऑक्सीजन, स्ट्रोंटियम, कार्बन और नाइट्रोजन स्थिर आइसोटोप विश्लेषण का उपयोग करके अजनाला नरसंहार (काला खूह) के पीड़ितों के निवास पैटर्न, भू-स्थान और आहार स्थिति के पुनर्निर्माण के लिए बहु-आइसोटोपिक दृष्टिकोण पर चर्चा करेंगे। डॉ. सहरावत भारतीय आबादी के लिए फोरेंसिक आइसोस्केप भविष्यवाणी मानचित्र तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। डॉ. सहरावत बताएंगे कि कैसे आपराधिक जांच और आपदा पीड़ितों की पहचान के लिए संस्कृति संवेदनशील समाधानों में टैटू के निशान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. सहरावत और उनके स्कॉलर्स ने मैंडिबुलर रेडियोमेट्रिक मापदंडों की फोरेंसिक उपयोगिता का एक ग्रंथ सूची विश्लेषण भी किया है जिसके परिणाम बाल्टीमोर (यूएसए) में एएएफएस 25 में प्रस्तुत किए जाएंगे। डॉ. सहरावत को एकेडमी ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज की एएएफएस वार्षिक वैज्ञानिक बैठक में पांच शोध पत्र प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। उल्लेखनीय है कि डॉ. सहरावत अजनाला (अमृतसर) में एक प्राचीन कुएं से निकाले गए हजारों अज्ञात मानव अवशेषों और व्यक्तिगत कलाकृतियों की फोरेंसिक पहचान की दिशा में काम कर रहे हैं।

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