पंजाब विवि ने शुरू किया कॉलेजों का ऑनलाइन एफिलिएशन सिस्टम
चंडीगढ़, 27 मई (ट्रिन्यू) कॉलेज एफिलिएशन की जटिल प्रक्रिया को सरल बनाने और प्रत्येक चरण पर स्पष्टता और पारदर्शिता बढ़ाने की एक बड़ी पहल के तहत आज पंजाब विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन एफिलिएशन मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया है। कुलपति प्रो. रेणु...
चंडीगढ़, 27 मई (ट्रिन्यू)
कॉलेज एफिलिएशन की जटिल प्रक्रिया को सरल बनाने और प्रत्येक चरण पर स्पष्टता और पारदर्शिता बढ़ाने की एक बड़ी पहल के तहत आज पंजाब विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन एफिलिएशन मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया है। कुलपति प्रो. रेणु विग ने डीयूआई प्रो. योजना रावत, डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक की उपस्थिति में ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया। इस मौके पर प्रो. रजत संधीर, प्रो. सोनल चावला, प्रो. सविता उप्पल और डॉ. परवीन गोयल भी उपस्थित रहे। शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में विकसित ‘समर्थ’ पोर्टल को विशेष रूप से पंजाब विश्वविद्यालय की एफिलिएशन रूपरेखा के अनुरूप बनाया गया है। उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एफिलिएशन प्रोसेस को समर्थ प्लेटफॉर्म पर डालकर पीयू का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, शैक्षणिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, सूचना साझा करने में देरी को कम करना और समग्र रिकॉर्ड-कीपिंग को बढ़ाना है। आगे चलकर, चल रहे पाठ्यक्रमों के लिए सभी निरीक्षण विशेष रूप से ऑनलाइन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें कॉलेजों को पोर्टल के माध्यम से प्रासंगिक संस्थागत डेटा प्रस्तुत करना होगा। डीसीडीसी कार्यालय इस जानकारी की गहन समीक्षा करेगा, जिससे प्रक्रिया अधिक कुशल और पारदर्शी हो सकेगी। यह कदम विश्वविद्यालय की निरीक्षण नीति में भी बदलाव का प्रतीक है। फिजिकल इंस्पेक्शन अब नए पाठ्यक्रम शुरू करने वाले कॉलेजों तक ही सीमित रहेगी और अगले वर्ष से वे भी ऑनलाइन प्रारूप में परिवर्तित हो जाएंगे।
जब भौतिक सत्यापन आवश्यक होगा, तो इसे कुलपति द्वारा नामित व्यक्ति और डीसीडीसी द्वारा नामित व्यक्ति वाली दो सदस्यीय टीम द्वारा किया जाएगा, जो पहले की बड़ी निरीक्षण समितियों का स्थान लेगी, जिससे बहुत सारा पैसा और प्रयास बचेगा। कुलपति प्रो. रेणु विग ने डीसीडीसी और कार्यान्वयन टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह डिजिटल रूप से सक्षम प्रणाली व्यापक शैक्षणिक सुधारों के लिए एक मिसाल कायम करती है और पंजाब विश्वविद्यालय अपने संस्थागत पारिस्थितिकी तंत्र में ऐसी डिजिटल प्रथाओं का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले डीसीडीसी प्रोफेसर संजय कौशिक ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और देरी को कम करने तथा स्पष्टता में सुधार लाने में इस पहल के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कार्यान्वयन की देखरेख के लिए प्रोफेसर रेणु विग द्वारा गठित एक समर्पित समिति का गठन किया गया था। समिति में प्रोफेसर रजत संधीर (अध्यक्ष), प्रोफेसर सोनल चावला, प्रोफेसर सविता उप्पल और सुरजीत सिंह ठाकुर (डीआर कॉलेज, संयोजक) शामिल थे।

