मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Panjab University हाईकोर्ट का पंजाब यूनिवर्सिटी को आदेश : 12 साल से कार्यरत संविदा असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियमित किया जाए

Panjab University पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी के घटक कॉलेजों में पिछले 12 साल से संविदा पर कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियमित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य और उसके संस्थान नागरिकों का शोषण...
Advertisement

Panjab University पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी के घटक कॉलेजों में पिछले 12 साल से संविदा पर कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियमित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य और उसके संस्थान नागरिकों का शोषण नहीं कर सकते और न ही बेरोजगारी की स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।

जस्टिस जगमोहन बंसल की एकल पीठ ने कहा कि वर्ष 2012 में विधिवत चयन प्रक्रिया के बाद स्वीकृत पदों पर नियुक्त किए गए याचिकाकर्ता ‘बैकडोर एंट्री’ से नहीं आए हैं। उन्हें केवल इसलिए नियमितीकरण से वंचित नहीं किया जा सकता कि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति संविदा पर हुई थी। अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता पूरी तरह योग्य हैं, वे वर्ष 2012 से विश्वविद्यालय में लगातार कार्य कर रहे हैं और उनकी नियुक्ति पूरी तरह नियमों के अनुसार हुई थी। विश्वविद्यालय को छह सप्ताह के भीतर उनकी सेवाएं नियमित करनी होंगी।’

Advertisement

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि छह सप्ताह के भीतर नियमितीकरण का आदेश जारी नहीं किया गया तो याचिकाकर्ताओं को स्वतः नियमित माना जाएगा और उन्हें नियमित वेतन व वरिष्ठता का लाभ मिलेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सार्थक गुप्ता ने पैरवी की।

अदालत की सख्त टिप्पणी

जस्टिस बंसल ने अपने आदेश में कहा कि सरकारें और सार्वजनिक संस्थान अनुबंध आधारित नियुक्तियों का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं, जिससे योग्य अभ्यर्थियों का शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘हर विभाग में, विशेष रूप से शिक्षा विभाग में, अस्थायी और संविदा नियुक्तियां सामान्य होती जा रही हैं। कई शिक्षक नियमित नियुक्त कर्मचारियों से भी कम वेतन पा रहे हैं।’

उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि ‘राज्य निधियों का दुरुपयोग सब्सिडी में किया जा रहा है, जबकि इनका उपयोग नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति और उचित वेतन देने में होना चाहिए। राज्य एक आदर्श नियोक्ता के रूप में अपने नागरिकों का शोषण नहीं कर सकता और न ही बेरोजगारी की स्थिति का लाभ उठा सकता है।’

अन्य शिक्षकों के लिए भी राहत का रास्ता

अदालत ने यह सुझाव भी दिया कि विश्वविद्यालय ऐसे अन्य संविदा शिक्षकों के मामलों पर भी विचार करे, जो दस साल से अधिक समय से कार्यरत हैं, ताकि अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचा जा सके। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय अपने अन्य रिक्त पदों को विज्ञापन के माध्यम से भरने के लिए स्वतंत्र रहेगा।

 

Advertisement
Tags :
Contract TeachersHigh courtPanjab UniversityRegularisationनियमितीकरणपंजाब विश्वविद्यालयसंविदा प्रोफेसरहाईकोर्ट आदेश
Show comments