जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 अप्रैल
पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट की एक बैठक में आज 29 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा यूटी में सेंट्रल सर्विस रूल लागू किये जाने की घोषणा के बाद पीयू सीनेट के कई मैंबरों ने भी सेंट्रल रूल लागू करने की मांग की और साथ ही पीयू के लिये सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दर्जे की मांग जोर-शोर से उठायी लेकिन हैरानी की बात ये रही कि पंजाब से जुड़े सीनेटर इस पर या तो मौन रहे या समर्थन में ही दिखायी पड़े। डॉ. गुरमीत सिंह तो कई सालों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दर्जें की वकालत करते आ रहे हैं जबकि अब प्रवीण गोयल और कुलपति खेमे के कई अन्य मैंबर भी साथ जुड़ गये हैं। शून्यकाल में पूटा प्रधान डॉ. मृत्युजंय कुमार ने भी सेंट्रल पे-स्केल की मांग उठायी और यूटी की तरह ही सर्विस रूल लागू करने की बात कही। मुकेश अरोड़ा समेत कुछ सदस्यों ने प्रिंसिपलों के खाली पद भरे जाने की मांग उठायी। डीपीएस रंधावा ने हॉस्टल अलॉटमेंट का काम ऑनलाइन किये जाने की मांग रखी। संदीप सिंह ने पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तहत छात्रों को सुविधाएं देने की बात रखी। पूसा प्रधान हनी ठाकुर ने नये वेतनमान और डीए की मांग उठायी।
मल्टीपर्पज ऑडीटोरियम में बनने जा रहे नये सीनेट हॉल के रखरखाव और संचालन के लिये एक कंपनी बनेगी जिसके पदेन अध्यक्ष कुलपति ही होंगे। यह काम किसी प्राइवेट कंपनी को दिया जायेगा जो बही-खाते से लेकर इसके सुचारू संचालन तक सारे काम देखेगी। सदस्यों की राय थी कि इसे आत्मनिर्भर मॉडल पर चलाया जाए और मेनटेंनेंस के लिये बजट का हिस्सा न बनाया जाए। कोविड जैसी आपात स्थिति में पीएचडी के वाइवा के लिये अब शोधार्थी ऑनलाइन भी मौखिक परीक्षा दे सकेंगे। इसके अलावा परीक्षा और दाखिलों से जुड़े रेगुलेशन भी पारित हो गये। हालांकि 6 मई को होने वाले दीक्षांत समारोह के मद्देनजर एक और मीटिंग ऑनलाइन बुलाने का फैलसा लिया गया जिसमें अवॉर्डों को मानद उपाधियों के बारे में निर्णय होगा।
कोड आफ कडंक्ट की मांग
सीनेट बैठक में विरोध के सुर दबाने के लिये कुछ सदस्यों ने कोड आफ कंडक्ट लागू किये जाने की मांग की। दरअसल हरप्रीत दुआ और पूटा प्रधान मृत्युजंय कुमार जब-जब बोलते तो कुलपति और उनके समथर्क खेमे को यह चुभता। उनकी कुलपति के साथ तीन-चार बार तीखी झड़पें हुई।