चंडीगढ़, 19 मई (ट्रिन्यू)
पंजाब और चंडीगढ़ के गैर-सरकारी कॉलेजों के प्रबंधन संघ ने कालेजों में ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रवेश के फैसले को अव्यावहारिक और अवास्तविक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। इसे लेकर आज एक प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा से मुलाकात भी की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस. राजिंदर मोहन सिंह छिन्ना और प्रबंधन महासंघ के सचिव इंजीनियर गुरविंदर सिंह सरना ने किया। प्रतिनिधियों के समूह में डॉ. एसपी सिंह, राकेश धीर, डॉ. तेजिंदर कौर धालीवाल, डॉ. एग्नेस ढिल्लों, डॉ. गुरपिंदर सिंह समरा और एस. भगवंत पाल सिंह सच्चर भी शामिल थे।
मंत्री से बैठक में शिष्टमंडल ने उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा दाखिलों को लेकर लिए गए निर्णय को स्थगित करने को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमे पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर से संबद्ध सभी डिग्री कॉलेजों में केंद्रीकृत प्रवेश के लिए पंजाब के तीन विश्वविद्यालयों का एक साझा पोर्टल बनाने की बात कही गयी।
बैठक के दौरान कॉलेज मैनेजमेंट फेडरेशन द्वारा ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रवेश के फैसले को अव्यावहारिक और अवास्तविक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की गयी और कहा कि यह पंजाब के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रभावित करेगा जो कि पहले से ही कठिन दौर से गुजर रहे हैं। साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मुद्दा उठाया कि कोविड के कारण आए संकट और विदेशों की तरफ छात्रों के बढ़ते आकर्षण के कारण कॉलेजों में छात्रों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इस अनिश्चितकाल में अभिभावकों की फीस देने की क्षमता भी काफी कम हो गई है और अब उच्च शिक्षा विभाग के इस फैसले से यह स्वाभाविक है कि कॉलेजों में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या और भी कम हो जाएगी जिससे न केवल कॉलेजों को नुकसान होगा, बल्कि पंजाब के युवा भी सही दिशा प्राप्त नहीं कर पायेंगे। इंटरनेट पंजाब के अंदरूनी इलाकों में पहले से ही एक बड़ी चिंता है।
शिष्टमंडल ने मंत्री को बताया कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों को कॉलेज भेजने के ही इच्छुक नहीं हैं, तो वे अपने बच्चों को साइबर कैफे जाने की अनुमति कैसे देंगे और अनावश्यक रूप से ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रवेश के लिये पैसे खर्च करेंगे। विभाग द्वारा उठाये गये इस कदम से केवल समस्याएं ही पैदा होंगी। इसके अलावा यह भी नोट किया गया कि अतीत में बीएड और बी. कॉम पाठ्यक्रम के लिए एक समान संयुक्त प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी जो कि बुरी तरह से विफल रही। अगर यही विफल सिस्टम अब डिग्री कॉलेजों पर थोप दिया गया तो निश्चित तौर पर पंजाब के सभी उच्च शिक्षा संस्थान नष्ट हो जाएंगे। शिक्षा मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि इस निर्णय पर फिर से विचार किया जाएगा और वह इस मामले का संज्ञान लेंगे।