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PU यूजीसी का नया ड्राफ्ट रेगुलेशन पूटा को मंजूर, लेकिन शर्तें लागू

जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 31 जनवरी पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा पेश किए गए यूजीसी के नए ड्राफ्ट रेगुलेशन का स्वागत किया है, लेकिन इस पर कुछ शर्तों और सुधारों की मांग भी की...
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जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 31 जनवरी

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पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा पेश किए गए यूजीसी के नए ड्राफ्ट रेगुलेशन का स्वागत किया है, लेकिन इस पर कुछ शर्तों और सुधारों की मांग भी की है। इसको लेकर आज आमसभा आयोजित की गई। पूटा के सदस्य इस नए मसौदे को तो स्वीकार करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसके लागू होने में समय देना बहुत जरूरी है। क्योंकि शिक्षकों को इन नए मापदंडों के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है, और बिना पर्याप्त समय के उन्हें समायोजित करना मुश्किल हो सकता है। संगठन का मानना है कि यूजीसी को इसे लागू करने से पहले कम से कम तीन साल का वक्त देना चाहिए। पूटा ने इसे लेकर नितिन अरोड़ा की अगुवाई में एक पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है जो निर्णयों/सुझावों पर एक नोट बनाकर पूटा को सौंपेगी और पूटा इसे यूजीसी को भेजेगी। पूटा प्रधान अमरजीत नौरा और सचिव मृत्युंजय कुमार ने बताया कि मुख्य मुद्दा रेगुलेशन 3.8 से जुड़ा है, जिसमें शिक्षकों को नौ मापदंडों में से चार को पूरा करना अनिवार्य किया गया है। इन मापदंडों में शामिल हैं – इनोवेटिव टीचिंग, रिसर्च/टीचिंग लैब डेवलपमेंट, कंसल्टेंसी, भारतीय भाषाओं में शिक्षण, भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षण, छात्र इंटर्नशिप, डिजिटल कंटेंट क्रिएशन, सामुदायिक सेवा, स्टार्टअप और फंड रेजिंग। पूटा का कहना है कि ये मापदंड सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए, उनकी संख्या घटाकर दो या तीन की जानी चाहिए। एपीआई सिस्टम को खत्म करने के फैसले का पूटा ने स्वागत किया, लेकिन ग्रेड-स्केल और पास्ट सर्विस को लेकर कुछ सवाल उठाए।

कुलपतियों की नियुक्ति पर टिप्पणी से परहेज

पूटा ने कुलपतियों की नियुक्ति पर टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि उनका ध्यान सिर्फ शिक्षकों के हितों पर है। अब, एक पांच सदस्यीय टीम बनाई गई है, जो यूजीसी तक अपनी चिंताओं और सुझावों को पहुंचाएगी। 5 फरवरी तक फीडबैक लेने के बाद, यूजीसी इस पर विचार करेगा और ज़रूरी संशोधन करेगा।

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