जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 जुलाई
पंजाब विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल आफ ओपन लर्निंग (यूसोल) में पंजाबी के सहायक प्रोफेसर पाली भूपिंदर सिंह को करिअर एडवांस्मेंट स्कीम (कैस) के तहत एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर प्रमोशन के लिये हुए इंटरव्यू के बाद उन्हें फिर से प्री-स्क्रीनिंग कमेटी के सामने पेश होने को कहा जा रहा है। साथ ही केस मीडिया में उछालने पर स्टैंडिंग कमेटी ने उनसे अलग से जवाब-तलबी की। प्रोफेसर एके ग्रोवर ने कुलपति के तौर पर अपनी दूसरी टर्म खत्म होने से तीन दिन पहले 19 जुलाई 2018 को कैस के सभी मामले क्लीयर कर दिये। भूपिंदर पाली का भी भी इंटरव्यू हुआ और एक्सपर्ट, कुलपति और डीन गुरपाल संधू ने इसे ओके कर साइन भी कर दिये। लेकिन बाद में डीन गुरपाल संधू ने ही एपीआई स्कोर में कमियां बताकर इस पर आब्जेक्शन लगा दिया। यही कारण था कि 27 अगस्त 2018 को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में पाली भूपिंदर का लिफाफा नहीं गया। उन्होंने डीन गुरपाल संधू व यूसोल की तत्कालीन हेड प्रो. योजना रावत पर कई आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि अब जो डीन आपत्ति जता रहे हैं। उन्होंने स्क्रीनिंग और इंटरव्यू कमेटी में खुद साइन किये हैं। कहा गया कि डॉ. पाली ने टीचिंग के जो 75 नंबर क्लेम किये थे जबकि उन्हें क्लेम 43 नंबर ही करने चाहिए थे, क्योंकि वे पांच माह तो छुट्टी पर थे। प्रो. गुरपाल ने दस्तावेजों में कमियां बताकर फार्म भरने से मना कर दिया। प्रो. गुरपाल का कहना है कि उनके आवेदन में डेफीसिएंसी थी, वीसी ने प्रैशर बनाकर तब साइन करा लिये लेकिन प्रोफोर्मा भरते वक्त पाली से सारी कमियां दूर करने को कहा गया जो उन्होंने दूर नहीं की।
ये है पाली की दुखभरी दास्तान
पाली ने अपनी दुखभरी दास्तान बतायी कि 15 जुलाई 2016 को कैस प्रमोशन के लिये यूसोल हेड को आवेदन दिया और 26 दिसंबर को प्री-स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग के लिये लिखा। अगले साल 8 जून को कैस का रिवाइज्ड आवेदन दिया। जो 7 मार्च 2018 को रिकमेंड हुआ। केस लंबित होने बारे 2 अप्रैल 2018 को पूटा को लिखा। इसी साल 6 अप्रैल को स्थापना विभाग ने उनका आवेदन पांचवीं बार लौटा दिया और प्री-स्क्रीनिंग कमेटी ने इलिजिबिलिटी की सही डेट और एक अन्य माइनर कमी बतायी। 19 जुलाई को इंटरव्यू हुआ लेकिन 27 अगस्त 2018 की सिंडिकेट में पाली का लिफाफा नहीं खुला उलटे उनसे इसी दिन सपोर्टिव डाक्यूमेंट की 10 कॉपियां मांग लीं। इसके बाद पाली ने पूटा, एसवीसी से मिले जिस पर उन्हें बताया गया कि किसी छोटी सी गलतफहमी के कारण ऐसा हुआ लेकिन प्री-स्क्रीनिंग के सामने पेश होने को कहा।