चंडीगढ़/पंचकूला, 13 अप्रैल (नस)
हरियाणा में कोरोना महामारी के संकट ने आम जनजीवन पर गहरा असर डाला है। सरकार ने निजी स्कूलों को 30 अप्रैल तक बन्द करने के निर्देश जारी किए हुए हैं व सरकार के आदेश का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई बारे आदेश जारी करने के साथ साथ पत्र भी जारी किया हुआ है। दूसरी तरफ, प्रदेश सरकार के यह आदेश फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन मानने को तैयार नहीं है। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष कलभूषण शर्मा का कहना है कि हरियाणा में कोरोना की स्थिति इतनी भयंकर नहीं हैं जिससे प्रदेश के सभी स्कूलों कि छुट्टियों के आदेश जारी किए गए हैं। अगर छात्रों के अभिभावक छात्रों को स्कूल भेजने के लिए सहमत हैं तो सरकार को अभिभावकों की अनुमति के साथ स्कूलों को खोलने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया है कि अधिकतर छात्रों के अभिभावक स्कूलों को खोलने के पक्ष में हैं। अभिभावकों का कहना हैं कि जब पूरा प्रदेश खुला हुआ हैं रेल बस ओर सभी तरह के साधनों के चलने के साथ साथ क्रिकेट मैच और राजनीतिक रैलियों इत्यादि पर कोई रोक टोक नहीं हैं तो स्कूलों को क्यों बन्द किया जा रहा हैं स्कूलों के लिए उचित गाइडलाइन बनाकर कोविड़ 19 के प्रकोप से छात्रों को बचाया जा सकता हैं।
प्लैज मनी वापस की जाए
कलभूषण शर्मा ने सरकार से मांग की कि महामारी के कारण आए वित्तीय संकट से निपटने के लिए स्कूलों को प्लैज मनी वापस की जाए ताकि स्कूल इस संकटकाल में अपने अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को वेतन दे सकें। दो साल से नहीं चली स्कूलों की बसों के लिए परिवहन विभाग दिशा निर्देश जारी करे। उन्होंने कहा कि बेरोजगार हुए बस के ड्राइवरों को 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ते की घोषणा की जाए।