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पानी पर ‘भारी’ भाजपा व आप की सियासी खींचतान!

एसवाईएल : केंद्र की मध्यस्तता के बावजूद गतिरोध बरकरार, नहीं बनी सहमति
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नयी दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को स्मृति चिन्ह भेंट करते हरियाणा के सीएम नायब सैनी। -दैनिक ट्रिब्यून
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हरियाणा और पंजाब के बीच सतलज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का विवाद दशकों से चला आ रहा है। समाधान की उम्मीद में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में मंगलवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में एक बार फिर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मौजूदगी में चर्चा तो हुई, लेकिन नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’ रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया हुआ है। केंद्र सरकार ने मध्यस्थता का जिम्मा लिया है। इसके बावजूद बार-बार की बैठकें सिर्फ ‘सकारात्मक माहौल’ की झलक देने तक ही सिमट रही हैं। अब यह विवाद राजनीतिक टकराव में बदल चुका है। हरियाणा में भाजपा और पंजाब में आप की सियासी खींचतान पानी पर ‘भारी’ पड़ रही है।

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आप बार-बार केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाती रही है और भाजपा, पंजाब सरकार को ‘संविधान और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने वाली सरकार’ बताती रही है। एसवाईएल जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी दोनों राज्यों की सरकारें ‘आपसी अविश्वास’ के कारण किसी व्यावहारिक समाधान तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इससे पहले, 9 जुलाई को हुई बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया था।

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, ‘अच्छे माहौल में बातचीत हुई है। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सकारात्मक तरीके से जवाब दिया जाएगा।’ दूसरी ओर, पंजाब सीएम भगवंत मान बोले, ‘हल निकालने की ओर बढ़े हैं। लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी तकनीकी या कानूनी पहलू पर सहमति नहीं बन पाई है। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। केंद्र सरकार को जवाब देना है कि उसने दोनों राज्यों के बीच समाधान के लिए क्या किया।’

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