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PGIVAC 2025 : PGIMER में टीकों की सुरक्षा पर हुआ 'गंभीर मंथन', जानिए क्या बोले भारत-विदेश के विशेषज्ञ

बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों के लिए टीकाकरण की रणनीतियों पर भी हुई अहम चर्चा
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चंडीगढ़, 10 जून

PGIVAC 2025 : PGIMER के ऑडिटोरियम में सोमवार को माहौल कुछ अलग था। देश-विदेश से जुटे वैक्सीनेशन विशेषज्ञों की गंभीर चर्चाएं, स्क्रीन पर इम्यूनोलॉजी की जटिल परतें, और हर चेहरा एक ही मकसद से रौशन- सुरक्षित और असरदार टीकाकरण।

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यह मौका था PGIVAC 2025 यानी चौथे अंतरराष्ट्रीय पोस्टग्रेजुएट वैक्सीनेलॉजी कोर्स के दूसरे दिन का। आयोजक थे सामुदायिक चिकित्सा विभाग और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, PGIMER। दिन की शुरुआत हुई कोर्स निदेशक डॉ. मधु गुप्ता के संक्षिप्त पुनरावलोकन से। फिर मंच संभाला डॉ. बिमन सैकिया और डॉ. रितु अग्रवाल ने।

दोनों ने इम्यून रिस्पॉन्स और वैक्सीन की लैब टेस्टिंग को आसान भाषा में समझाया। UK से आए चर्चित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आदम फिन ने बताया कि टीकों की ताकत सिर्फ एंटीबॉडी तक सीमित नहीं, शरीर की गहराई में जाकर भी ये काम करते हैं। डॉ. विपिन वशिष्ठ ने सवाल उठाया- क्या हर टीका जीवनभर सुरक्षा देता है? जवाब भी उन्हीं ने दिया "कुछ देते हैं, कुछ को बूस्टर चाहिए।"

इसके बाद फोकस आया AEFI पर यानी टीकाकरण के बाद होने वाले दुष्प्रभाव। स्वास्थ्य मंत्रालय के डॉ. दीपक पोलपकारा, WHO जिनेवा के डॉ. माधव राम और चंडीगढ़ के डॉ. मनजीत सिंह ने बताया कि हर केस की बारीकी से जांच होती है। PGIMER की पूर्व प्रोफेसर डॉ. मनमीत कौर ने बात को जमीन से जोड़ा "अगर समाज साथ दे, तो हर नई वैक्सीन का स्वागत आसान हो जाता है।"

सत्र के अंत में जब फीडबैक मांगा गया, तो एक प्रतिभागी बोला-"हम सिर्फ ज्ञान नहीं, ज़िम्मेदारी लेकर जा रहे हैं।" PGIVAC 2025 अभी जारी है, और उम्मीद है- यह सप्ताह टीकों की दुनिया में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

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