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PGIVAC 2025 : हर बच्चे तक वैक्सीन पहुंचाने की रणनीति पर वैश्विक मंथन, चौथे दिन विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव और नवाचार

PGIVAC 2025 : हर बच्चे तक वैक्सीन पहुंचाने की रणनीति पर वैश्विक मंथन, चौथे दिन विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव और नवाचार
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 12 जून

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PGIVAC 2025 : PGIMER चंडीगढ़ में चल रहे चौथे पोस्टग्रेजुएट इंटरनेशनल वैक्सीनोलॉजी कोर्स (PGIVAC 2025) का चौथा दिन वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा। भारत समेत अनेक देशों के विशेषज्ञ एक मंच पर जुटे और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाने की राह पर गहन मंथन किया। दिन की शुरुआत हुई डॉ. नरेंद्र के. अरोड़ा (कार्यकारी निदेशक, INCLEN ट्रस्ट इंटरनेशनल) के व्याख्यान से, जिन्होंने नीति निर्माण में वैज्ञानिक साक्ष्यों की ताकत को रेखांकित किया।

उन्होंने बताया कि कैसे मजबूत डेटा किसी देश की वैक्सीनेशन रणनीति को दिशा दे सकता है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर आयुक्त डॉ. पवन कुमार ने भारत के यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) की व्यापकता, नीति तंत्र और डिजिटल इनोवेशन की जानकारी दी। उन्होंने टाइफॉयड निगरानी, जीरो डोज कवरेज और वैक्सीन परिचय की पारदर्शी प्रक्रिया को भी साझा किया।

डॉ. जैकब जॉन (CMC वेल्लोर) ने बताया कि रोग भार का आकलन किसी भी वैक्सीन नीति की नींव होता है। वहीं डॉ. ब्रायन वॉल (येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ) ने साक्ष्यों को व्यवहारिक नीतियों में बदलने के व्यावहारिक तरीकों पर बात की। गेट्स फाउंडेशन के डॉ. अरिंदम रे ने भारत में नई वैक्सीनों को कार्यक्रमों में शामिल करने के अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब तक स्वास्थ्य तंत्र मजबूत नहीं होगा, टीकों की समान पहुंच संभव नहीं।

दोपहर के सत्र में अंतरराष्ट्रीय अनुभवों की झलक मिली :- 

नेपाल के डॉ. अभियन गौतम ने HPV वैक्सीनेशन के सफल कार्यान्वयन की कहानी सुनाई। श्रीलंका के डॉ. समिथा गिनीगे ने अपने देश की वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों में आई गिरावट की चर्चा की। डॉ. सुरेश डालपथ (विलियम जे. क्लिंटन फाउंडेशन) ने निम्न व मध्यम आय वाले देशों में जीरो डोज और कम टीकाकृत बच्चों तक पहुंचने की रणनीतियों को साझा किया।

नवाचारों पर केंद्रित सत्र में:

डॉ. राज शंकर घोष ने नई टीकाकरण तकनीकों और भविष्य की दिशा बताई। डॉ. संतोष तौर (फाइज़र) ने ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण और आधुनिक वैक्सीन प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाश डाला। डॉ. जेफ्री कैनन (टेलीथॉन किड्स इंस्टीट्यूट, ऑस्ट्रेलिया) ने Group A Streptococcus वैक्सीन के आर्थिक पक्ष की विवेचना की।

दिन का समापन एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा से हुआ, जिसमें डॉ. पवन कुमार, डॉ. नवनीत बिछा और डॉ. शंकर प्रिन्जा (GAVI) जैसे विशेषज्ञों ने नई वैक्सीनों के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और व्यवहारिक समाधानों पर विस्तार से विचार साझा किए। कोर्स निदेशक डॉ. मधु गुप्ता ने कहा, “वैक्सीन केवल स्वास्थ्य साधन नहीं, यह भविष्य की रक्षा है। हमें मजबूत डेटा, नवाचार और संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा ताकि कोई भी बच्चा टीके से वंचित न रहे।”

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