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पीजीआईएमईआर की स्थायी वित्त समिति ने दी बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी

मरीजों की सुविधा और शैक्षणिक विकास में नया अध्याय
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 21 नवंबर

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पीजीआईएमईआर (चंडीगढ़) ने मरीजों के अनुभव को बेहतर बनाने और चिकित्सा सेवाओं को उन्नत करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नई दिल्ली में 20 नवंबर, 2024 को आयोजित स्थायी वित्त समिति (एसएफसी) की 130वीं बैठक में संस्थान की कई बड़ी पहलों को मंजूरी दी गई। स्वास्थ्य मंत्रालय की सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संस्थान के विकास, आईटी संरचना के आधुनिकीकरण और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

बैठक के प्रमुख फैसले

शैक्षणिक विकास: पीजीआईएमईआर और इसके सैटेलाइट केंद्रों (संगरूर, फिरोजपुर और ऊना) में नए फैकल्टी और गैर-फैकल्टी पद सृजित करने की सिफारिश।

आधुनिक आईटी संरचना: एचआईएस 2.0 के तहत आईटी हार्डवेयर और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्रीय डेटा केंद्र स्थापित करने को मंजूरी।

ऐतिहासिक पहल: चिकित्सा क्षेत्र की धरोहर को संरक्षित करने के लिए मेडिकल म्यूजियम की स्थापना को सराहा गया।

सुरक्षा में सुधार: संस्थान में अग्नि सुरक्षा के उन्नयन की सिफारिश।

सारथी प्रोजेक्ट: मरीजों के लिए राहत और नवाचार

बैठक में सारथी प्रोजेक्ट की खास तौर पर सराहना की गई। यह प्रोजेक्ट अस्पताल में मरीजों को बेहतर नेविगेशन और कतार प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है। हालिया प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट ने मरीजों के लिए प्रतीक्षा समय को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई।

रिपोर्ट के मुताबिक, 42% पहली बार आने वाले मरीजों ने सारथी सेवाओं का उपयोग किया, जिससे उनकी औसत प्रतीक्षा अवधि 4.2 घंटे से घटकर 2.8 घंटे हो गई। इससे न केवल मरीजों को राहत मिली, बल्कि अस्पताल स्टाफ का गैर-चिकित्सीय कार्यभार भी कम हुआ।

मीता राजीव लोचन, सचिव (युवा सेवाएं और खेल) ने भी इस प्रोजेक्ट के प्रभाव पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, सारथी प्रोजेक्ट ने मरीजों की देखभाल को एक नई दिशा दी है। यह मॉडल अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के लिए अनुकरणीय हो सकता है।

आगे की योजना

पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि सारथी प्रोजेक्ट के सफल परिणाम हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। हम इन सिफारिशों को लागू कर इस सफलता को बनाए रखेंगे। जल्द ही निगरानी समिति की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें परियोजना की सिफारिशों को लागू करने की समयसीमा तय की जाएगी। डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) पंकज राय ने इस प्रोजेक्ट को देशभर के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों के लिए एक मॉडल बनाने की संभावना जताई।

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