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गंभीर क्षणों के नायक तैयार कर रहा है पीजीआई

जब हादसे के बाद हर सेकंड कीमती होता है, तब जीवन और मृत्यु के बीच खड़ा होता है एक प्रशिक्षित डॉक्टर। पीजीआई चंडीगढ़ ने इसी सोच के साथ देश का पहला राष्ट्रीय ट्रॉमा और बर्न मैनेजमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया...
पीजीआई चंडीगढ़ में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (ट्रॉमा एंड बर्न्स) के तहत पहले राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते निदेशक प्रो. विवेक लाल। साथ हैं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विपिन कौशल।
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जब हादसे के बाद हर सेकंड कीमती होता है, तब जीवन और मृत्यु के बीच खड़ा होता है एक प्रशिक्षित डॉक्टर। पीजीआई चंडीगढ़ ने इसी सोच के साथ देश का पहला राष्ट्रीय ट्रॉमा और बर्न मैनेजमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य है-ऐसे ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स’ तैयार करना जो तकनीकी दक्षता के साथ-साथ तुरंत निर्णय लेने में सक्षम हों। यह कार्यक्रम भारत सरकार के नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट ऑफ ट्रॉमा एंड बर्न इनजरीज़ (एनपीपीएमटीबीआई) के तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (ट्रॉमा एंड बर्न्स) में शुरू किया गया है। पहले बैच में 60 रेजिडेंट डॉक्टरों को चुना गया है, जो सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, एनेस्थीसिया और प्लास्टिक सर्जरी से जुड़े हैं। प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष व नोडल अधिकारी प्रो. अतुल पराशर ने बताया कि प्रशिक्षण में एटीएलएस तकनीक, सिमुलेशन आधारित केस स्टडीज, रक्तस्राव रोकना, सीपीआर और एयरवे मैनेजमेंट जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। साथ ही, संकट के समय धैर्य और नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सह निदेशक प्रो. निधि भाटिया के अनुसार, यह मॉडल भविष्य में देश के मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों तक विस्तार किया जाएगा। उद्देश्य है हर आपात स्थिति में सक्षम डॉक्टरों की एक सशक्त राष्ट्रीय शृंखला तैयार करना।

तकनीक से आगे सोचने की ज़रूरत : प्रो. विवेक लाल

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए पीजीआई निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि यह केवल एक ट्रेनिंग नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है। हम ऐसे डॉक्टर तैयार कर रहे हैं जो न केवल कुशल हों, बल्कि आपात परिस्थितियों में तत्काल और सही निर्णय लेने में भी सक्षम हों। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में लिया गया सही निर्णय ही किसी की जान बचा सकता है। इस दौरान चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विपिन कौशल भी मौजूद रहे।

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