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PGI Excellence Honoured डॉ. पंकज सी. वैद्य को नेपकॉन 2025 में मिला ‘डॉ. ओ.ए. शर्मा ऑरेशन अवार्ड’

PGI Excellence Honoured भारतीय चेस्ट सोसाइटी (आईसीएस) ने पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. पंकज सी. वैद्य को उनके बाल क्षयरोग (पेडियाट्रिक टीबी) पर किए गए अग्रणी शोध और उपचार संबंधी नवाचारों के लिए प्रतिष्ठित ‘डॉ. ओ.ए. शर्मा ऑरेशन अवार्ड’ से...
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PGI Excellence Honoured भारतीय चेस्ट सोसाइटी (आईसीएस) ने पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. पंकज सी. वैद्य को उनके बाल क्षयरोग (पेडियाट्रिक टीबी) पर किए गए अग्रणी शोध और उपचार संबंधी नवाचारों के लिए प्रतिष्ठित ‘डॉ. ओ.ए. शर्मा ऑरेशन अवार्ड’ से सम्मानित करने की घोषणा की है। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रीय पल्मोनरी रोग सम्मेलन ‘नेपकॉन 2025’ के दौरान प्रदान किया जाएगा।

डॉ. वैद्य, एडवांस्ड पीडियाट्रिक्स सेंटर में पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी डिवीजन के प्रोफेसर हैं। उन्हें यह पुरस्कार जयपुर में 13 नवंबर को उद्घाटन सत्र के दौरान दिया जाएगा। वे 15 नवंबर को अपने व्याख्यान ‘भारत में बाल क्षयरोग प्रबंधन का विकास: चुनौतियों और अवसरों की यात्रा’ पर प्रस्तुति देंगे। चार दिवसीय यह सम्मेलन 13 से 16 नवंबर तक चलेगा।

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‘डॉ. ओ.ए. शर्मा ऑरेशन’ भारतीय चेस्ट सोसाइटी का सर्वोच्च सम्मान है, जो हर वर्ष ऐसे वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिन्होंने टीबी अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। डॉ. वैद्य ने इस क्षेत्र में कई नये उपचार मॉडल, निदान रणनीतियां और शोध पद्धतियां विकसित की हैं, जिनसे बाल क्षयरोग की रोकथाम और उपचार को नई दिशा मिली है।

एमबीबीएस, एमडी (पीडियाट्रिक्स), डीएम (पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी), एमआरसीपीसीएच (eq), एफआईएपी-एनआरसी, एपीपीएस डिप्लोमा और ईआरएस डिप्लोमा इन पीडियाट्रिक रेस्पिरेटरी मेडिसिन जैसी योग्यता रखने वाले डॉ. वैद्य ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एवं लैंगोन मेडिकल सेंटर में एनआईएच फोगार्टी इंटरनेशनल सेंटर फेलोशिप के तहत पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च पूरी की है।

उनके शोध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं। एनआईएच, आईसीएमआर और सीटीडी द्वारा प्रायोजित कई परियोजनाओं में वे प्रधान या सह-अन्वेषक के रूप में कार्य कर चुके हैं। वे पीएचडी शोधार्थियों, डीएम प्रशिक्षुओं और एमडी विद्यार्थियों को भी सक्रिय रूप से मार्गदर्शन दे रहे हैं।

यह सम्मान न केवल डॉ. वैद्य की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पीजीआईएमईआर की उस संस्थागत परंपरा का भी सम्मान है जो बाल श्वसन चिकित्सा और टीबी नियंत्रण में निरंतर नेतृत्व करती रही है। उनके कार्य ने भारत में बाल क्षयरोग के शुरुआती निदान, उपचार और शोध के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं।

 

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