पीजीआई के कांट्रेक्ट कर्मियों ने मंगलवार को प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) के नेतृत्व में सैकड़ों कर्मचारी पीजीआई से मार्च करते हुए सेक्टर-25 स्थित रैली ग्राउंड पहुंचे। वहीं, पीजीआई सैटेलाइट सेंटर संगरूर में भी गेट मीटिंग कर कर्मचारियों ने अपनी आवाज बुलंद की। मार्च की अगुवाई जेएसी ऑफ कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष अश्वनी कुमार मुंजाल ने की। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने 11 अगस्त, 2025 को हरियाणा अनिवार्य सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ईएसएमए), 1974 लागू कर उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश की है। कमेटी का आरोप है कि यह कानून ‘जनविरोधी’ है और श्रमिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करता है।
करोड़ों का बकाया रोका
जेएसी ने आरोप लगाया कि पीजीआई प्रशासन ने संविदा कर्मियों का 80–90 करोड़ रुपये का एरियर रोक रखा है। यह बकाया भारत सरकार की अधिसूचनाओं (9 अक्तूबर 2018, 18 मार्च 2021, 13 जनवरी 2023 और 30 जुलाई 2025) और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 13 मार्च, 2019 के आदेश से पहले ही मंज़ूर हो चुका है। समिति का कहना है कि तय वेतन का भुगतान न करना खुद ईएसएमए की धारा 6 और 7 का उल्लंघन है, जो आपराधिक श्रेणी में आता है।
एफआईआर दर्ज करने की मांग
जेएसी ने प्रशासक और डीजीपी चंडीगढ़ को शिकायत देकर मांग की है कि पीजीआई निदेशक और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव के खिलाफ हरियाणा ईएसएमए अधिनियम की धाराओं 6 और 7 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए कहा कि वेतन और अधिकार मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।