पीजीआई चंडीगढ़ के प्रो. रविंद्र खैवाल बने भारत के नंबर-1 पर्यावरण वैज्ञानिक
स्टैनफोर्ड रैंकिंग में वैश्विक पहचान
Global Science Milestone पीजीआई चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल ने एक बार फिर भारत को वैज्ञानिक जगत में गौरवान्वित किया है। उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर स्कोपस द्वारा जारी 2025 ग्लोबल साइंटिस्ट रैंकिंग में ‘मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान’ (Meteorology and Atmospheric Sciences) के क्षेत्र में भारत का शीर्ष वैज्ञानिक घोषित किया गया है।
इस रैंकिंग में डॉ. खैवाल दुनिया के 2,364 वैज्ञानिकों में 669वें स्थान पर और भारत के 16 वैज्ञानिकों में पहले स्थान पर रहे। वर्ष 2024 के एकल मूल्यांकन में वे दुनिया में 133वें और भारत में दूसरे स्थान पर हैं।
पर्यावरण विज्ञान (Environmental Sciences) के व्यापक क्षेत्र में भी उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है, जहां वे कैरियर प्रभाव में भारत में 9वें और वैश्विक स्तर पर 369वें स्थान पर रहे, जबकि 2024 के वार्षिक प्रभाव में उन्होंने भारत में 14वां और दुनिया में 246वां स्थान हासिल किया।
पीजीआई में भी शीर्ष प्रदर्शन
संस्थान के भीतर डॉ. खैवाल ने एकल वर्ष प्रदर्शन में प्रथम और कुल कैरियर प्रभाव में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। वे दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल हैं — यह विशिष्ट स्थान इस वर्ष केवल 3,372 भारतीयों को मिला है।
शोध और नीति में समान दक्षता
डॉ. खैवाल के नाम अब तक 149 शोध-पत्र दर्ज हैं, जिन्हें 18,000 से अधिक उद्धरण प्राप्त हुए हैं। उनका h-index 63 है, जो उनके सतत अनुसंधान प्रभाव को दर्शाता है। उनके कई शोध-पत्रों को ISI Web of Science ने ‘Highly Cited Papers’ के रूप में मान्यता दी है।
हाल ही में उन्हें कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), नई दिल्ली के अंतर्गत ‘Knowledge Forum on Stubble, Municipal Solid Waste and Biomass’ का संयोजक नियुक्त किया गया है। यह मंच पर्यावरणीय चुनौतियों और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी नीतियों को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है।
पर्यावरण स्वास्थ्य नीति के निर्माता
डॉ. खैवाल ने ‘नेशनल हेल्थ अडॉप्टेशन प्लान फॉर डिजीजेज ड्यू टू एयर पॉल्यूशन एंड क्लाइमेट चेंज’ का प्रारूप तैयार किया, जिसे राष्ट्रीय वायु प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनाया है।
साथ ही वे ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑन एयर पॉल्यूशन एंड क्लाइमेट चेंज’ के नोडल अधिकारी भी हैं, जो प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन परिषद के अधीन कार्य करता है।
स्टैनफोर्ड रैंकिंग की पद्धति
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह रैंकिंग 2019 से हर वर्ष जारी होती है, जिसमें 22 प्रमुख विषयों और 176 उप-विषयों में वैज्ञानिक प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें उद्धरण संख्या, लेखन स्थिति, h-index, सह-लेखन समायोजित hm-index और कंपोजिट सूचकांक (c-score) जैसे मानक शामिल होते हैं।
डॉ. खैवाल लगातार इस सूची में शीर्ष पर बने हुए हैं और उनका शोध अब वैश्विक स्तर पर भारत की पर्यावरण नीति और स्वास्थ्य दृष्टिकोण को दिशा दे रहा है।