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PGI Chandigarh नींद से जुड़ी बीमारियां बनीं ‘मौन’ महामारी

नाम्सकॉन 2025 : पीजीआई में स्लीप डिसऑर्डर्स पर विशेषज्ञों ने की चर्चा

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पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. विवेक लाल कार्यशाला के समापन अवसर पर आयोजकों और विशेषज्ञों के साथ। -ट्रिब्यून फोटो
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PGI Chandigarh कई लोग नींद में सांस रुकने या ठीक से नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन अक्सर यह बीमारी पहचानी नहीं जाती। यही विषय रविवार को पीजीआई, चंडीगढ़ में आयोजित ‘स्लीप डिसऑर्डर्स और एलर्जी’ पर निरंतर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) और एलर्जी पर व्यावहारिक कार्यशाला का मुख्य केंद्र रहा। विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे विकार केवल नींद नहीं बिगाड़ते, बल्कि दिल, दिमाग और शरीर की ऊर्जा पर गहरा असर डालते हैं।

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी (भारत) के तत्वावधान में आयोजित नाम्सकॉन 2025 के 65वें वार्षिक सम्मेलन का हिस्सा रहा। देशभर से आए सौ से अधिक विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने इसमें भाग लिया।

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पीजीआई के हेड एंड नेक सर्जरी (ओटोलरिंगोलॉजी) के विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप बंसल ने कहा कि नींद से जुड़ी बीमारियां अब मौन महामारी बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि स्लीप डिसऑर्डर्स के कारण मरीजों में लगातार थकान, ध्यान की कमी, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मधुमेह तक के खतरे बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को मरीजों की जीवनशैली और नींद की आदतों पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके।

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पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि नींद की कमी और नींद में सांस रुकना आज की जीवनशैली की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन विकारों का असर केवल व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की उत्पादकता और स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। पीजीआई का उद्देश्य बहु-विषयी सहयोग के माध्यम से इन समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढना है।

सत्रों में साझा हुए अनुभव

चार पीएमसीक्रेडिट पॉइंट्स से मान्यता प्राप्त इस सीएमई में विशेषज्ञों ने नींद विकारों के निदान और उपचार की नवीन तकनीकें साझा कीं। पद्मश्री प्रो. मोहन कामेश्वरन (एमईआरएफ, चेन्नई), डॉ. राहुल मोदी(हिरानंदानी अस्पताल, मुंबई), डॉ. विजयकृष्णन(एमईआरएफ, चेन्नई) और डॉ. श्रीनिवास किशोर(एआईजी, हैदराबाद) ने स्लीप एपनिया, अनिद्रा और बाल नींद विकारों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दूसरे भाग में प्रो. सत्यवती मोहिन्द्रा के नेतृत्व में एलर्जी पर व्यावहारिक कार्यशाला हुई, जिसमें डॉ. शकुंतला लवासा और डॉ. नीतिका गुप्ता ने बताया कि एलर्जी और नींद विकार आपस में जुड़े होते हैं, इसलिए उनका संयुक्त उपचार अधिक प्रभावी है।

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