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‘नोरा केयर 2025’ में पीजीआई, चंडीगढ़ ने तय किए नये मानक

पीजीआई, चंडीगढ़ में मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘नोरा केयर 2025-नॉन ऑपरेटिंग रूम एनेस्थीसिया : चैलेंजेज, एडवांसेज, रिसोर्सेज एंड एक्सीलेंस’ में विशेषज्ञों ने एनेस्थीसिया को सर्जरी रूम से आगे बढ़ाते हुए नई दिशा दी। एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग और...
पीजीआई चंडीगढ़ में आयोजित 'नोरा केयर 2025’ में उपस्थित चंडीगढ़ के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल और विशेषज्ञ। -ट्रिब्यून फोटो
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पीजीआई, चंडीगढ़ में मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘नोरा केयर 2025-नॉन ऑपरेटिंग रूम एनेस्थीसिया : चैलेंजेज, एडवांसेज, रिसोर्सेज एंड एक्सीलेंस’ में विशेषज्ञों ने एनेस्थीसिया को सर्जरी रूम से आगे बढ़ाते हुए नई दिशा दी। एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग और इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट्स (आईएसए) चंडीगढ़ चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सीएमई में देशभर से 51 विशेषज्ञ और 100 से अधिक चिकित्सक शामिल हुए। सम्मेलन में 15 वैज्ञानिक सत्रों और पांच हैंड्स-ऑन वर्कशॉप्स के माध्यम से एंडोस्कोपी, रेडियोलॉजी और एमआरआई जैसे नॉन-ऑपरेटिंग क्षेत्रों में एनेस्थीसिया की सुरक्षा, तकनीक और प्रशिक्षण पर गहन चर्चा हुई। मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल ने कहा कि एनेस्थीसिया अब केवल ऑपरेशन थिएटर तक सीमित नहीं है। हर चिकित्सा स्थल पर वही सावधानी जरूरी है। मुख्य वक्ता प्रो. अवीक जयंथ ने कहा कि तकनीक, प्रशिक्षण और टीमवर्क के माध्यम से नॉन-ऑपरेटिंग रूम एनेस्थीसिया को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है। आयोजन अध्यक्ष प्रो. काजल जैन ने कहा कि सुरक्षित एनेस्थीसिया स्थान से नहीं, बल्कि संवेदना और दक्षता से तय होता है।

 

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