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PGI Chandigarh: ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए ‘मोबाइल अलर्ट’ सर्विस, इलाज होगा पारदर्शी और सुरक्षित

8800 मरीज कैडावर वेटिंग लिस्ट में, इलाज बीच में छूटने का खतरा होगा कम
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PGI Chandigarh: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सबसे बड़ी चुनौती होती है, समय पर फॉलोअप। कई मरीज अपॉइंटमेंट और जांच की तारीखें भूल जाते हैं, जिससे इलाज अधूरा रह जाता है और संक्रमण या अंग रिजेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अब पीजीआई चंडीगढ़ ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल लिया है।

संस्थान ने एक नई डिजिटल सुविधा शुरू की है, जिसके तहत मरीजों को मोबाइल फोन पर रिमाइंडर मैसेज भेजे जाएंगे। इन अलर्ट संदेशों से मरीजों को डॉक्टर से मिलने और जांच कराने की तारीख समय रहते याद रहेगी। इससे इलाज बीच में रुकने की संभावना काफी कम हो जाएगी।

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8800 मरीज वेटिंग लिस्ट में

पीजीआई देश का सबसे बड़ा किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर है। यहां कैडावर (ब्रेन डेड डोनर) ट्रांसप्लांट के लिए लगभग 8800 मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। डॉक्टरों के अनुसार, डोनर की कमी और बढ़ती संख्या के कारण मरीजों को दो से तीन साल तक इंतजार करना पड़ सकता है।

क्यों जरूरी है फॉलोअप

विशेषज्ञ बताते हैं कि ट्रांसप्लांट के बाद शुरुआती महीनों में नियमित फॉलोअप बेहद महत्वपूर्ण होता है। दवाओं की सही डोज़, ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफी और अन्य जांच समय पर न होने से गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

डिजिटल अलर्ट बनेगा सहारा

नई सुविधा से मरीजों का बोझ काफी हद तक कम होगा। अब उन्हें अस्पताल की पर्चियों या फाइलों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। मोबाइल पर आने वाला मैसेज ही उनके लिए भरोसेमंद सहारा बनेगा। पीजीआई का कहना है कि इस कदम से इलाज पारदर्शी और सुरक्षित होगा। पीजीआई चंडीगढ़ ने 1973 में देश का पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया था। तब से संस्थान हज़ारों मरीजों को नई जिंदगी दे चुका है।

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