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सुखना झील के आसपास भूमि अधिग्रहण संबंधी याचिकाएं खारिज

24 साल बाद आया फैसला, डीएलएफ को भरनी होगी लागत राशि

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सौरभ मलिक/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 20 दिसंबर

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सुखना झील के आसपास आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत क्षेत्रों को विकसित करने के लिए पंचकुला जिले के सकेतड़ी और भैंसा टिब्बा गांवों की 952.18 एकड़ जमीन को अधिग्रहण के लिए अधिसूचित किए जाने के 24 साल बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। साथ ही सभी 10 याचिकाकर्ताओं से 50,000 रुपये लागत वसूले जाने के आदेश दिये हैं। यह राशि ‘प्रॉक्सी लिटिगेटर’ डीएलएफ लिमिटेड द्वारा वहन की जानी है। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि प्रॉक्सी याचिकाकर्ता पर लगाई गई लागत ‘भूमि हड़पने के गलत उद्देश्य’ के लिए शुरू की गई ‘गलत कवायद’ को रोकने के लिए है।

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न्यायमूर्ति तिवारी ने जोर देकर कहा कि याचिका दायर करते वक्त इस तथ्य को ध्यान में रखा गया था कि अधिग्रहित भूमि सुखना झील के पास है और राजधानी पेरीफेरी में आती है। इसे भूमि अधिग्रहण का सबसे प्रमुख सार्वजनिक उद्देश्य कम घनत्व वाले शहरी विकास की योजना बनाना था। मामले की पृष्ठभूमि में जाने पर जस्टिस तिवारी ने पाया कि अन्य याचिकाकर्ताओं ने डीएलएफ के साथ साठगांठ की और अधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती दी। हरियाणा राज्य ने सुखना झील के आसपास पारिस्थितिक और पर्यावरण संतुलन के रखरखाव को ध्यान में रखते हुए मुकदमे के शुरुआती दौर में अदालत के समक्ष एक अंडरटेकिंग दी थी कि श्रीमाता मनसा देवी शहरी परिसर की परिधि में संभावित क्षेत्र का अधिग्रहण करना अनिवार्य था। अंडरटेकिंग का अनुपालन करते हुए हरियाणा ने एक विकास योजना तैयार की और सेक्टर 1, 2, 3, 5 बी, 5 सी और 6, एमडीसी, पंचकूला के नियोजित विकास के लिए विभिन्न अधिसूचनाओं के माध्यम से भूमि का अधिग्रहण किया। सेक्टर-1 में, जिमखाना क्लब भवन, एक पावर हाउस, राजीव गांधी पार्क (आंशिक रूप से) और पैराडाइज पार्क का निर्माण किया गया और एक वाटर वर्क्स स्थल भी बनाया जा रहा था। लेकिन झील के जलग्रहण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सेक्टर-1 का भूमि उपयोग ‘आईटी उपयोग के लिए आरक्षित क्षेत्र’ से बदलकर ‘खुला स्थान क्षेत्र’ कर दिया गया। अदालत ने प्रायोजित प्रॉक्सी मुकदमेबाजी की निंदा की और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रमुख याचिकाकर्ता ‘सरकार के सभी अंगों में फैले कुछ छिपे हुए बड़े लोगों के इशारे पर जमीन पर अपना जाल फैलाने का प्रयास कर रहा था, जिन्होंने डीएलएफ से संपत्ति खरीदने के लिए अच्छी सौदेबाजी की होगी’। जस्टिस ठाकुर ने कहा ‘संबंधित याचिकाकर्ता केवल एक भूमि हड़पने वाला है, जो केवल अपने स्वार्थी व्यक्तिवादी हित को बढ़ावा देने में रूचि रखता है न कि बड़े पैमाने पर समाज का हित चाहता है।

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